नई दिल्ली।जम्मू कश्मीर और तीन तलाक पर सरकार के लिए गए फैसले के बाद से देश की अपेक्षाएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से और भी बढ़ गई। ऐसे में लोगों के जेहन में यह सवाल पिछले काफी वक्त से था कि तीन तलाक और अनुच्छेद 370 के बाद मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून को लेकर अधिसूचना आखिर कब जारी करेगी। 75 साल पहले पाकिस्तान को अपना मुल्क चुनने वाले लोग भारत को अपना मुकद्दर चुनने के बराबर हो जाएंगे। घुसपैठियों को देश से बाहर करने की बात मोदी सरकार द्वारा समय-समय पर की भी जाती रही है। इस दिशा में सबसे पहले असम में एन आर सी यानी नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस पर काम हुआ। वर्तमान में नागरिकता संशोधन विधेयक को भी इसी कवायद का हिस्सा माना गया। संसद में पारित होने के पांच साल बाद केंद्र ने 11 फरवरी को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू कर दिया। यह अधिसूचना भारत निर्वाचन आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा से पहले आई है। इसलिए हमने सोचा की नागरिकता संशोधन कानून से जुड़ी पूरी बातों को आसान से तथ्यों के आधार पर आपके सामने रख दें।
- नागरिकता संशोधन विधेयक है क्या?
नागरिकता संशोधन कानून, 1955 में संशोधन का प्रस्ताव है। इस संशोधन के माध्यम से पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के 6 धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को नागरिकता का प्रावधान है जो पलायन करके भारत आए। इनमें हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, ईसाई और पारसी लोग शामिल हैं। नागरिकता संशोधन कानून किसी एक राज्य नहीं बल्कि पूरे देश में शरणार्थियों पर लागू हो गया। इसमें भारत में उनके निवास के समय को 12 वर्ष की बजाय छह वर्ष करने का प्रावधान है। यानी अब ये शरणार्थी 6 साल बाद ही भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- सीएए के तहत कैसे दी जाएगी नागरिकता?
गृह मंत्रालय ने आवेदकों की सुविधा के लिए एक पोर्टल तैयार किया है क्योंकि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। आवेदकों को वह वर्ष बताना होगा जब उन्होंने यात्रा दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था। एक अधिकारी ने कहा, आवेदकों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा। नागरिकता से जुड़े जितने भी ऐसे मामले पेंडिंग हैं वे सब ऑनलाइन कन्वर्ट किए जाएंगे। पात्र विस्थापितों को सिर्फ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा।
- किन बातों को लेकर विवाद है
नागरिकता संशोधन विधेयक जिसके बारे में विवाद ये है कि इसे मुस्लिम विरोधी बताया जा रहा है और कहा जा रहा है कि घुसपैठियों को लेकर धर्म के आधार पर अंतर किया जा रहा है। इस पर सरकार का मानना है कि गैर मुस्लिम धार्मिक प्रताड़ना का शिकार होकर भारत आए। इन्हें नागरिकता मिलनी चाहिए।
- क्या मुस्लिमों की नागरिकता छीन ली जाएगी
सरकार ने साफ किया है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए ) में किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं है। अमित शाह ने कहा था कि 70 साल से जो शरणार्थी यहां पर आकर बसे हैं। जिनके मन में दर्द है कि हम वहां से शरणार्थी बनकर आए और आज हमारी नागरिकता नहीं है। 70 साल से वो अवैध तरीके से रहे। सिटिजनशिप अमेडमेंट एक्ट को पहले ही कैबिनेट में लागूकर सभी को नागरिकता दी जाएगी। अमित शाह ने एक चुनावी सभा में भी कहा था कि सीएए के खिलाफ हमारे मुस्लिम भाइयों को गुमराह किया जा रहा है और भड़काया जा रहा है। सीएए केवल उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आए हैं। यह किसी की भारतीय नागरिकता छीनने के लिए नहीं है।
- क्या अब तक किसी को नागरिकता मिली?
पिछले दो वर्षों में नौ राज्यों के 30 से अधिक जिला मजिस्ट्रेटों और गृह सचिवों को नागरिकता अधिनियम के तहत अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से आने वाले हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों को भारतीय नागरिकता देने की शक्तियां दी गई हैं। गृह मंत्रालय की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 से 31 दिसंबर 2021 तक, तीन देशों के इन गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदायों के कुल 1,414 विदेशियों को पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता दी गई।
- पूर्वोत्तर में क्यों हो रहा विरोध
देश के पूर्वोत्तर राज्यों में इस विधेयक का विरोध किया जा रहा है, और उनकी चिंता है कि पिछले कुछ दशकों में बांग्लादेश से बड़ी तादाद में आए हिन्दुओं को नागरिकता प्रदान की जा सकती है। विपक्ष का तर्क है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है, जो समानता के अधिकार की बात करता है।
- सीएए को लेकर सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ
देश की सर्वोच्च अदालत में कानून की संवेधानिक वैधता को लेकर सवाल उठाए गए। कहा गया कि ये कानून भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है। इसमें रोहिंग्या और तिब्बती बौद्धों को क्यों नहीं शामिल किया गया।
8 .लगातार एक्सटेंशन क्यों लेती रही सरकार
नियम जारी करने को लेकर सरकार के पास छह महीने की अवधि होती है। कानून के नियम राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के 6 महीने के भीतर तैयार होने चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में इससे जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति लेनी होती है। सीएए के मामले में ये काम गृह मंत्रालय का है। वो 2020 से लेकर अगस्त 2023 तक आठ बार एक्सटेंशन ले चुका है। नियम जारी करने में हो रही देरी की वजह से सरकार सीएए लागू नहीं कर पा रही थी।
- कैसे मिलती है आम लोगों को नागरिकता
नागरिकता का अर्थ है किसी देश में रहने के लिए नागरिकों को दी गई कानूनी स्थिति। यह प्रकृति में स्थायी नहीं है और इसे बदला जा सकता है। ऐसे 4 तरीके हैं जिनसे नागरिकता हासिल की जा सकती है-
जन्म के आधार पर– यदि कोई व्यक्ति भारत में पैदा हुआ है, तो वह भारत की नागरिकता प्राप्त कर लेता है यदि माता-पिता दोनों भारतीय हैं और अवैध प्रवासी नहीं हैं।
वंश के आधार पर- किसी व्यक्ति को भारत की नागरिकता तब मिलती है जब उसके माता-पिता या दादा-दादी के पास भारतीय नागरिकता हो।
पंजीकरण द्वारा- यदि कोई व्यक्ति भारत की नागरिकता प्राप्त करना चाहता है, तो उसे नागरिकता के लिए भारत सरकार को आवेदन जमा करने से पहले 7 साल की अवधि के लिए भारत में रहना होगा।
प्राकृतिकीकरण द्वारा- केंद्र सरकार किसी व्यक्ति को इस आधार पर नागरिकता देती है कि उस व्यक्ति के पास किसी भी देश की नागरिकता नहीं होनी चाहिए और वह अच्छे चरित्र का हो।
क्षेत्र के समावेश द्वारा– यदि कोई विदेशी देश युद्ध के कारण या स्वेच्छा से भारत में विलय कर लेता है, तो सरकार निर्दिष्ट करेगी कि किसे भारत की नागरिकता प्रदान की जाए।
- संसद की टेबल पर आने के बाद वर्षों तक क्यों अटका रहा सीएए?
नागरिकता संशोधन बिल पहली बार 2016 में लोकसभा में पेश किया गया था. यहां से तो ये पास हो गया था, लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। बाद में इसे संसदीय समिति के पास भेजा गया और फिर 2019 का चुनाव आ गया। दिसंबर 2019 में इसे लोकसभा में दोबारा पेश किया गया। इस बार ये बिल लोकसभा और राज्यसभा, दोनों जगह से पास हो गया। इसके बाद कोरान जैसी महामारी ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया। इसके साथ ही कानून को लेकर व्यापक विरोध भी देखने को मिला। जब भी कोई नया कानून पास होता है, तो उसके बाद सरकार को उसके नियम भी जारी करने होते है। जैसे कैसे क्या कब होगा। क्या प्रक्रिया होगी, कहां होगी, लोगों को क्या करना होगा। दस्तावेज कौन से जरूरी होंगे।
साभार। प्रभा साक्षी