इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना रमज़ान का है । इस महीने में इस्लाम धर्म से जुड़े लोग रोज़ा रखते हैं। चन्द्र दर्शन के अनुसार इस्लामिक कैलेंडर का प्रत्येक महीना 29 या 30 दिन का होता है। इस प्रकार चन्द्र दर्शन के अनुसार रमज़ान माह में रोज़े की संख्या 29 या 30 हो सकती है।
रमज़ान को नफ़्स या आत्मा पर नियंत्रण का महीना कहा जाता है। लगभग 13 से 14 घण्टे का बिना अन्न जल का उपवास और अल्लाह (ईश्वर) की उपासना यानी नमाज़ और कुरान का पाठ आत्मा और शरीर को पवित्र करने का माध्यम बनती है। इस महीने में फ़ितरा ज़कात (दान) से आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों की मदद करने का अल्लाह (ईश्वर) के आदेश का पालन करना प्रत्येक मुसलमान का फ़र्ज़ है, जिससे रोज़े के बाद ईद की खुशियां अमीर और गरीब सब मिलकर मना सकें।
रमज़ान की सबसे बड़ी बात ये है कि इस महीने में अल्लाह का आदेश है कि देखो ऐसा न हो कि इफ्तार में तुम्हारे दस्तरख्वान पकवानों से सजे हों और तुम्हारे पड़ोस में कोई भूखा रह जाएगा तो तुहारा रोज़ा और नमाज़ सब बेकार रहेगा। आम दिनों में भी पड़ोसियों के ख्याल रखने की बात इस्लाम मे कही गई है।
इस्लाम बराबरी का धर्म है इसमें कोई छोटा या बड़ा नही होता। इसकी बानगी नमाज़ के दौरान दिखाई देती है जब छोटा बड़ा अमीर गरीब सब एक ही लाइन में खड़े होकर अल्लाह (ईश्वर) की उपासना करते हैं।