आगरा। आगरा की सेंट्रल जेल में बंदियों ने आपसी सद्भावना की मिसाल पेश की है। मंगलवार से रोज़े सुरु होने पर हिन्दू कैदियों ने भी मुस्लिम भाइयों के साथ रोज़ा रखा और इबादत व दुआ की, दो दर्जन से अधिक हिंदू बंदी रोजा रख रहे हैं। जेल प्रशासन और जमीयत उलमा ए हिन्द व ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी ने बंदियों के लिए फलाहार, सहरी और इफ्तार की विशेष व्यवस्था की है। जमीअत उलमाए हिंद के प्रवक्ता सगीर अहमद ने रोजेदार बंदियों के लिए इफ्तार का सामान जेलर दीपाशंकर भरती व डिप्टी जेलर सूरज कश्यप को सौपा। वही जमीअत उलमाए हिंद के प्रवक्ता सगीर अहमद ने बताया कि 44 साल से रोजेदार बंदियों के लिए सामान पहुंचा रहे हैं। सामान पहुंचाने वलों मेंसाथ रहे मौ. शहजाद. मौ, सानू, मौ. आयान आदि मौजूद रहे।
आगरा सेंट्रल जेल को प्रदेश की आदर्श जेल माना जाता है। यहां बंदियों को आजीविका कमाने के लिए तरह – तरह के काम सिखाए जाते हैं। साबुन, कुर्सी, गुलाल, गोबर की लकड़ी से लेकर मनोरंजन के लिए अपना बैंड तक जेल के बंदियों ने बनाया है। इस बार जेल के बंदियों ने रोजे रखकर सद्भावना की मिसाल पेश की है।
275 के करीब बंदी रख रहे रोजा
जेल अधीक्षक ने बताया की मंगलवार से रमजान शुरू हो गए । इस बार 275 बंदी रोजेदार हैं, जिसमे कुछ हिंदू बंदी भी रोजा रख रहे है। रोजा रखने वालों को सहरी में दूध और लच्छे, फेन, टोस्ट आदि दिया जा रहा । अफ्तार में भी खजूर के साथ विशेष पौष्टिक भोजन की व्यवस्था जेल प्रशासन और जमीयत उलमा ए हिंद व ऑल इंडिया मुस्लिम वेलफेयर सोसाइटी द्वारा की गई है। वही जमीयत उलेमा ए हिंद द्वारा रोजेदार बंदियों को तिलावत के लिए तस्वी टोपी क़ुरआन दिए गए।
1400 साल पुरानी परंपरा काे निभा रहे हैं कैदी
वहीं, सूर्यास्त के समय रोजा इफ्तार की व्यवस्था होती है. इफ्तारी के बाद नमाज अदा की जाती है. सगीर अहमद ने बताया कि मुस्लिम समुदाय के लोग 1400 साल से चले आ रहे पारंपरिक तरीके से इफ्तार करते हैं. इस दौरान वे सबसे पहले खजूर और पानी पीते हैं. इसके बाद खाना खाते हैं।