बरेली।जमात रज़ा ए मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान हसन खान (सलमान मिया) ने बताया कि रमजान का मुबारक महीना मंगलवार से शुरू हो गया | रोजेदारों ने मस्जिद में बड़े अकीदत और एहतराम के साथ नमाज़ें अदा की। रमजान के दौरान जो इस्लाम धर्म में यकीन रखने वाले लोग रोजा रखते हैं, इस दौरान सुबह की नमाज के बाद सूर्यास्त तक कुछ खाना और पीना नहीं होता है |
मौलाना शम्स रज़ा ने बताया कि रमजान के दौरान रोजेदार नमाज अदा करने के साथ ही, कुरआन शरीफ की तिलावत करते हैं, जकात (दान) देते हैं और ऐसे काम करने की कोशिश की जाती है, जिससे सवाब मिले | अल्लाह तआला फरमाता है कि रोजेदार अपना खाना पीना और अपनी ख्वाहिश, मेरे लिए छोड़ देता है तो रोजा मेरे ही लिए और मैं इसका बदला दूंगा और हर नेकी का सवाब 70 गुना या इससे कहीं ज्यादा मिलेगा। बेशक रमज़ान की फ़ज़ीलत तमाम महीनो से ज्यादा है, रमजानुल मुबारक की हर रात, हर दिन, हर लम्हा और सारा महीना खुसूसियात का है। मगर इसमे खास यह है कि इस महीने के आखरी अशरे में कुरआन शरीफ नाजिल हुआ | उन्होंने बताया रमजान शरीफ के रोज हर बालिग़ मुसलमान मर्द औरत पर फर्ज है |
रमजान में तीन अशरे होते हैं पहला अशरा पहले रोज से 10 रोज़े तक होता है यह अशरा रहमत का है, दुसरा अशरा 11 रोज़े से 20 रोज तक होता है यह अशरा मग़फ़िरत का है और आखिरी तीसरा अशरा 21 रोज़े से 30 रोज तक होता है यह अशरा जहन्नम से निजात का है |