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कुरआन-ए-पाक का पढ़ना देखना छूना सुनना सब इबादत में शामिल है- रुखसार फारूखी

संवाद/ तौफीक फारूकी

फर्रुखाबाद। माहे रमज़ान की अज़मत को बयान करते हुए  फर्रुखाबाद में रुखसार फारूकी ने कहां रोजेदार बंदों ने मुकद्दस रमजान के (6वां) रोजा रखकर अल्लाह के हुकजयम को पूरा किया मस्जिद व घरों में रौनक है। चारों तरफ कुरआन-ए-पाक पढ़ा जा रहा है। पैगंबर इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनकी आल पर दरूदो सलाम का नजराना पेश  किया जा रहा है। मस्जिदों में बच्चे, नौजवान व बुजुर्ग नमाज अदा कर रहे हैं। वहीं घरों में आधी आबादी इबादत, तिलावत के साथ खुद इबादत शामिल है।

रमज़ान के इस मुकद्दस महीने में कुरआन-ए-पाक नाज़िल हुआ कुरआन-ए-पाक का पढ़ना देखना, छूना, सुनना सब इबादत में शामिल है।  कुरआन-ए-पाक पूरी दुनिया के लिए हिदायत है. हमें कुरआन-ए-पाक के मुताबिक बताएं उसूलों पर जिंदगी गुजारनी चाहिए. अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर कुरआन-ए-पाक 23 साल में नाज़िल हुआ. कुरआन-ए-पाक पर अमल करके ही पूरी दुनिया में अमन और शांति कायम की जा सकती है।