जीवन शैली

माहे रमजान में दिल से अल्लाह को करें याद और पढ़ते रहिए नमाज़ , हाजी तहसीन सिद्दीकी

संवाद। तौफीक फारूकी

फर्रुखाबाद , अल्लाह ने रोजे इसलिए वाजिब किए, ताकि सभी को भूख का बराबर से एहसास हो। लोग एक दूसरे की मदद करें। रोजे में अमीरी और गरीबी का फर्क मिट जाए। सभी एक साथ बैठकर मिल और बांटकर इफ्तार करें। समाजसेवी हाजी तहसीन सिद्दीकी ने बताया कि अगर सामाजिक दृष्टि से बात करें तो रोजा भूखों की समस्याओं को समझने का एहसास कराता है। इन दिनों ही पता चलता है कि लोग भूखे होते हैं तो वह किस दर्द से गुजरते हैं। उन्होंने बताया कि ऐसा इंसान जिसके पास दौलत खूब हो और वो कभी भूखा न रहा हो, उसे क्या भूख का एहसास होगा।

उसे यह कतई नहीं पता चलेगा कि एक गरीब की भूख क्या होती है। ऐसे में जब इंसान रोजा रखता है तो उसे भूख और प्यास दोनों का एहसास होता है। इसी एहसास की वजह से वो गरीबों की समस्याओं को समझ सकता है। अल्लाह ने रोजे को सभी पर वाजिब किया है, ताकि रोजे की हालत में अमीरी और गरीबी का फर्क मिट जाए।

रमजान के महीने में लोगों के दिलों में हमदर्दी पैदा होती है। लोग एक दूसरे की मदद करते हैं। समाजसेवी हाजी तहसीन सिद्दीकी ने बताया कि अल्लाह ने रोजे को इसलिए भी वाजिब किया है, जिसमें धनी और गरीब एक साथ बैठकर इफतार कर सकें। दोनों में भूख का बराबर से एहसास हो। फिर एक दूसरे का दर्द समझे और मदद करें। उन्होंने बताया माहे रमजान रहमतों और बरकतों का महीना है। माहे रमजान में अल्लाह के करीब आने का मौका मिला था, वह भी हमसे जुदा हो गया। अल्लाह हम सबने इस महीने जितनी इबादत की है, उसको कुबूल फरमा और हम सबको नेक रास्ते पर चलने की तौफीक अता फरमा। हाजी तहसीन सिद्दीकी ने मुल्क में भाईचारा कायम रखने की दुआ मांगी।