संवाद।। तौफीक फारुकी
फर्रुखाबाद ,रमजान माह में जुमे की नमाज की अहमियत खास होती है। जिसको लेकर रमजान के जुमे पर जामा मस्जिद में रमजान के तीसरे जुमे पर अकीदतमंदों ने अकीदत व एहतराम के साथ नमाज अदा की। इस मौके पर मौलाना मोहम्मद तारीक द्वारा तीसरे असरे जहन्नुम से आजादी के असरेव शब ए कद्र की रात की फजीलतों पर तकरीर दी गई।
कमालगंज थाना क्षेत्र कस्बे की जामा मस्जिद के मौलाना मोहम्मद तारिक ने रमजान के तीसरे असरे जहन्नुम से आजादी पर तकरीर करते हुए कहा कि तीसरा असरा बहुत खास असरा होता है। पहला असरा रहमत और बरकत होता है। जबकि, दूसरा असरा मगफिरत का, वहीं तीसरा असरा जहन्नुम से आजादी का होता है। तीसरे असरे में एक रात ऐसी होती है जो हजारों रात से बेहतर होती है। उसे शबे क़द्र की रात कहते है। मुस्लिम मजहब में इस रात को हजारों रात से बेहतर माना जाता है। इस रात की इबादत को हजारों रात की इबादत से बेहतर माना जाता है। शबे क़द्र की रात की फजीलत को कुरान और हदीसों में बयान किया गया है। रमजान महीने के तीसरे अरसे 21, 23, 25, 27 और 29वीं रात में से एक शब्र क़द्र की रात होती है। शबे क़द्र रमजान महीने की 27वीं रात है