राजनीति

35 साल से जीत का स्वाद नही चख पाई BSP…सपा बसपा गठबंधन में भी मिली करारी हार

लोकसभा चुनाव में 35 साल से जीत का स्वाद नही चख पाई बसपा

संवाद।। तौफीक फारूकी

फर्रुखाबाद ।बहुजन समाज पार्टी (बसपा) फर्रुखाबाद में 35 साल से लोकसभा चुनाव जीतने के लिए तरस रही है। वर्ष 1989 से 2019 तक के हुए लोकसभा चुनाव में बसपा वर्ष 2009 व वर्ष 2019 में उप विजेता तो रही, मगर जीत का स्वाद नहीं चख सकी।

वर्ष 1989 में रामसिंह ने बसपा से पहला चुनाव लड़ा और पांचवें नंबर पर रहे। जनता दल के संतोष भारतीय ने जीत हासिल की थी। वर्ष 1991 में बसपा ने प्रत्याशी नहीं उतारा।

इस चुनाव में संतोष भारतीय जीत का सिलसिला जारी नहीं रख सके। पहली बार चुनाव लड़े सलमान खुर्शीद संसद पहुंच गए। वर्ष 1996 में संतोष भारतीय जनता दल छोड़ हाथी की सवारी करते हुए चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें फिर मुंह की खानी पड़ी।

वर्ष 1998 में बसपा ने प्रो. शैतान सिंह शाक्य को टिकट दिया, लेकिन वह चौथे स्थान पर रहे। भाजपा के स्वामी सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज ने जीत हासिल की। वर्ष 1999 में बसपा ने देवेंद्र सिंह पर दांव लगाया, लेकिन जीत नहीं मिली।

पहली बार सपा के चंद्रभूषण सिंह मुन्नूबाबू संसद पहुंचे। वर्ष 2004 में बसपा ने नगेंद्र सिंह शाक्य को चुनावी दंगल में उतारा, लेकिन उन्हें भी मुंह की खानी पड़ी और दूसरी बार सपा ने सीट अपनी झोली में रखी। वर्ष 2008 में पूर्ण बहुमत से उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार बनी।

इसी दौरान सपा से बगावत कर बसपा में आए पड़ोसी जनपद हरदोई के कद्दावर नेता नरेशचंद्र अग्रवाल को पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने वर्ष 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में फर्रुखाबाद से टिकट दे दी। कांग्रेस के सलमान खुर्शीद और नरेशचंद्र अग्रवाल के बीच कांटे की टक्कर हुई। मगर आखिर में जीत पंजे की हुई।

वर्ष 2014 में एटा के जयवीर सिंह भी हाथी को नहीं जिता सके। वर्ष 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में फर्रुखाबाद की सीट बसपा के खाते में गई और बसपा ने मनोज अग्रवाल को टिकट दिया। इसके बावजूद बसपा जीत नहीं सकी और दूसरे नंबर पर रही। अब देखना है कि वर्ष 2024 के चुनाव में बसपा जीत का स्वाद चख पाएगी या नहीं।