उत्तर प्रदेश

इज़राइली झण्डा जला कर फिलिस्तीनी जनता के संघर्ष का किया समर्थन

गोरखपुर। इजरायल द्वारा फिलिस्तीन में पिछले 6 महीने से जारी बर्बर जनसंहार और इसको शह देने वाली अमेरिकी साम्राज्यवाद के ख़िलाफ़ आज दिशा छात्र संगठन की ओर से गोरखपुर विश्वविद्यालय गेट पर प्रदर्शन किया गया और इज़राइली झण्डा जला कर फिलिस्तीनी जनता के संघर्ष का समर्थन किया गया।

प्रदर्शन में दिशा छात्र संगठन की अंजलि ने कहा कि आज पूरी दुनिया की नज़रों के सामने इतिहास के सबसे बर्बर क़त्लेआम में से एक जारी है। गाज़ा में इज़रायल के हमले के छह महीने पूरे हो रहे हैं– गाज़ा में आज की तारीख़ तक 32,623 लोग मारे जा चुके हैं जिनमें क़रीब 70 फ़ीसदी बच्चे और महिलाएँ हैं! मारे गये लोगों की असली तादाद इससे कहीं ज़्यादा होगी क्योंकि अनगिनत लोगों की लाशें मलबे में इस क़दर दबी हुई हैं कि उन्हें निकालना तो दूर ढूँढ़ना भी मुश्किल है।

गाज़ा की आधी से ज्यादा इमारतें इज़रायली बमबारी में जमींदोज़ की जा चुकी हैं। अस्पतालों, स्कूलों और पनाहघरों तक को इज़रायली हत्यारों ने नहीं बख्शा है। सैकड़ों डॉक्टरों, नर्सों, पत्रकारों और लेखकों तक को जानबूझकर मारा गया है। 20 लाख की आबादी का क़रीब 70 फ़ीसदी हिस्सा बेघर हो चुका है। बची हुई आबादी गाज़ा के एक छोटे-से इलाके में पनाह लिये हुए है जहाँ बच्चों, बुजुर्गों और महिलाओं सहित लाखों लोगों के भुखमरी और बीमारी से मरने का खतरा बना हुआ है। इज़रायल वहाँ राहत सामग्री और दवाएँ तक नहीं पहुँचने दे रहा है। और तो और, जो कुछ खाना-पानी वहाँ पहुँच रहा है, उसे लेने के लिए के क़तार में खड़े लोगों तक पर गोलियाँ चलाकर सैकड़ों लोगों को मार दे रहा है। फ़िलिस्तीनी लोगों को बेइज़्ज़त करने के अनगिनत निहायत घिनौने वाकयों की तस्वीरें और बयान सामने आ चुके हैं। वेस्ट बैंक में भी इज़रायल अब तक सैकड़ों जानें ले चुका है।
इज़रायल एक पूरी क़ौम को ख़त्म कर देने पर आमादा है। पूरी दुनिया में आम लोग लाखों-लाख की तादाद में इसके ख़िलाफ़ सडकों पर उतर रहे हैं। लेकिन ज़्यादातर मुल्कों के हुक्मरान बेहयाई के साथ खुले या छिपे तौर पर इज़रायली हत्यारों का साथ दे रहे हैं या चुप्पी साधे हुए हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्तरराष्ट्रीय अदालत जैसी संस्थाएँ मज़ाक बनकर रह गयी हैं। इज़रायल खुलेआम उनके फ़ैसलों को अपने बूटों और टैंकों के तले रौंद रहा है।
हमारे देश में सरकारी नीति कुछ और कहती है लेकिन अगर कोई फ़िलिस्तीन के हक़ में या इज़रायल के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरता है तो फ़ौरन उसे “आतंकवाद का समर्थक” कहकर गिरफ़्तार कर लिया जाता है। और ऐसा क्यों न हो? यहाँ के शासक फ़ासिस्टों और इज़रायली ज़ायनवादी हत्यारों का आपस में भाईचारा जो है!
लेकिन हिन्दुस्तान के इंसाफ़पसन्द लोग आज भी फ़िलिस्तीनी जनता की आज़ादी की लड़ाई में उनके साथ हैं। हम इज़रायली हत्यारों के खिलाफ़ पूरी दुनिया में उठ रही आवाज़ों के साथ अपनी आवाज़ मिला रहे हैं। आज के दिन देशभर में क़रीब 100 जगहों पर हम इज़रायली हैवानियत के खिलाफ़ प्रदर्शन कर रहे हैं, इज़रायल का झण्डा और इज़रायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और उसके सरपरस्त अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के पुतले और पोस्टर जला रहे हैं। प्रदर्शन में दीपक, सत्यप्रकाश, अदिति, प्रीति, शेषनाथ,माया, सुरेश आदि शामिल हुए।