अन्य

माहे रमजान का आखिरी जुमा अलविदा पर किया बोले कारी मोहम्मद बिलाल अहमद

रमजान का आखिरी जुमा जुमा-तुल-विदा कहलाता है

संवाद। तौफीक फारूकी

फर्रुखाबाद ।अलविदा जुमा के दिन लोग क्या करते हैं जैसा कि आप जानते हैं जमात उल-विदा दो शब्दों से मिलकर बना है पहला ‘जमात’ और दूसरा ‘उल-विदा’। यहां जमात का मतलब जुम्मा यानी शुक्रवार से है और उल-विदा का अर्थ विदाई होता है। अलविदा जुमा के दिन भी सभी का रोज़ा होता है। साथ ही यह दिन आखिरी जुमा होने के कारण बेहद ख़ास भी होता है। इस दिन लोग अल्लाह की इबादत में नमाज पढ़ते हैं। कहते हैं ऐसा करने से ज्यादा से ज्यादा सवाब मिलता है । अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं और गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए दुआ मांगते हैं।

कमालगंज जरारी गांव निवासी कारी मोहम्मद बिलाल अहमद ने कहा कि हदीस में जुमे के दिन को बताया है खास
हदीस के अनुसार पैगंबर मोहम्मद साहब ने जुमे के दिन को हर मुसलमान के लिए ईद का दिन बताया है। इस्लाम में माना गया है कि जुमे की नमाज से पहले पैगंबर मोहम्मद नहाकर पाक यानी साफ-सुथरे कपड़े पहनते थे, इत्र लगाते और आंखों में सुरमा लगाकर नमाज के लिए जाते थे। इसलिए हर मुसलमान जुमे की नमाज के लिए खास तरह से तैयारी करता है। इसके साथ ही इस्लाम धर्म में मान्यता है कि अल्लाह ने ‘आदम’ को जुमे के दिन ही बनाया था और इसी दिन आदम ने पहली बार जन्नत में भी कदम रखा था। एक हदीस में यह भी जिक्र मिलता है कि जब जुमे का दिन आता है, तो हर मस्जिद के दरवाजे पर फरिश्ते खड़े होते हैं और जुमे की नमाज के लिए आने वाले हर शख्स का नाम भी लिखते हैं।