संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जिले में “गरीबी का तांडव” है। “मां एवं उसके वंशजों के पालन” के लिये “प्रशासन नें मजबूरी में कटोरा थाम” लिया है। “दे दे दान ,दे दे दान” की अपील की जा रही है। गोवंशों के पेट पालन के लिये शासन एवं प्रशासन भीख मांगने को मजबूर है।
जी हां,”अर्थव्यस्था को दुरुस्ती” दावा” करने वाली “सरकार को जब गौ माता एवं उसके वंशजों की भूख मिटाने के लिये किसानों से भूसा दान मांगने को विवश” होना पड़े तो क्या समझा जाये? जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने सभी जनप्रतिनिधियों, ग्राम पंचायतों के सम्मानित व्यक्तियों से अपील किया है कि अन्ना पशुओं द्वारा कृषकों की फसल को क्षति से बचाने के दृष्टिकोण से संचालित स्थायी/अस्थायीं गोवंश आश्रय स्थलों पर संरक्षित गोवंश की उदरपूर्ति हेतु गेहूँ के भूसे की नितान्त आवश्यकता है।
डीएम नें सभी से मेरा विनम्र आग्रह किया है कि गोवंश संरक्षण के लिए एकमत होकर गो सेवा के पुनीत कार्य से पुण्य लाभ प्राप्त करें।अपने ग्राम पंचायत के ग्रामवासियों एवं ग्राम प्रधानों से स्वेच्छानुसार निःशुल्क भूसा-दान, महादान अभियान चलाकर संरक्षित गोवंशीय पशुओं की उदरपूर्ति हेतु “दानवीर कर्ण” बनें। साथ ही भूसा-दानदाताओं को जनहित कल्याणकारी कार्यों हेतु प्रेरित कर ग्राम पंचायत के किसी एक सुरक्षित स्थान पर भूसा एकत्रित करायें। गो संरक्षण जैसे पवित्र कार्य में अपना सक्रिय योगदान दें। ऐसे कृषक एवं ग्राम प्रधान जो 100 से 150 कुन्टल से अधिक भूसा दान करेगें, उनकों डीएम द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जायेगा।