राजनीति

आजादी के बाद से अब तक 72 साल में फर्रुखाबाद ने राजनीति के देखे कई रंग, जानिए कैसा रहा सफर

संवाद।। तौफीक फारूकी

लोकसभा चुनाव 2024 का काउंटडाउन शुरू हो गया है. सभी पार्टियां उम्मीदवारों की सूची 2024) जारी कर रही है. चुनाव से पहले यूपी की फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर क्या हैं समीकरण आइए जानते हैं

फर्रुखाबाद : आखिरकार वह समय आ गया जिसका सभी को इंतजार था. लोकसभा चुनाव 2024 बेहद नजदीक है. नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा तीसरी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए जोर लगा रही है. वहीं, विपक्षी दल भी उलट-फेर की राजनीति में जुटे हुए हैं. फर्रुखाबाद के मतदाताओं का मिजाज हमेशा अलग रहा है. यहां के मतदाताओं ने 1952 के पहले आम चुनाव में कांग्रेस के मूलचंद दुबे को संसद में भेजा. फतेहगढ़ के रहने वाले मूलचंद दुबे 1957 और 1962 के आम चुनाव में भी संसद पहुंचे. उनकी मृत्यु के एक वर्ष बाद ही उपचुनाव हुए. 1963 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी में राम मनोहर लोहिया मैदान में उतरे. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. वीके केशकर को मात दी. डॉ. लोहिया अकबरपुर के रहने वाले थे. चुनाव से पहले यूपी की फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर क्या हैं समीकरण आइए जानते हैं अखिल भारतीय जन संघ के प्रत्याशी को हराया :वर्ष 1967 में फर्रुखाबाद लोकसभा सीट से अवधेश चंद्र राठौर मैदान में आए. उन्होंने अखिल भारतीय जन संघ के प्रत्याशी दयाराम को हराकर जीत दर्ज की. कांग्रेस की वापसी कराई. 1971 में जनता ने फिर उन्हें संसद भेजा. 1977 और 1980 के चुनाव में जनता का कांग्रेस से मोह भंग हो गया.जनता पार्टी ने दयाराम शाक्य को दो बार संसद पहुंचाया. 1984 में कांग्रेस के खुर्शीद आलम खान (पूर्व राष्ट्रपति डॉ जाकिर हुसैन के दामाद) ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1989 के चुनाव में जनता दल की लहर आई. संतोष भारतीय संसद की कुर्सी तक पहुंचने में कायम रहे. 1991 में खुर्शीद आलम खान के बेटे सलमान खुर्शीद ने राजनीति में कदम रखा. फर्रुखाबाद की जनता ने उन्हें भी हाथों-हाथ लिया. इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी ने उन्हें मंत्री पद से भी नवाजा.सलमान खुर्शीद जीते :इसके बाद 2009 में भी सलमान खुर्शीद जीते और विदेश मंत्री बने. फर्रुखाबाद की जनता ने जितना प्यार कांग्रेस को दिया उतना ही बीजेपी और समाजवादी पार्टी को भी दिया. यही कारण है कि 1996 और 1998 के चुनाव में जनता ने लगातार दो बार बीजेपी के डॉ सच्चिदानंद हरि साक्षी महाराज उन्नाव सांसद को संसद पहुंचाया.2004 और 2009 में भी जनता ने वफा निभाते हुए सपा के चंद्र भूषण सिंह उर्फ मुन्नू बाबू को लगातार दो बार सांसद बनाया. 2014 के चुनाव में बीजेपी ने वापसी की और मोदी लहर में मुकेश राजपूत ने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी रामेश्वर सिंह को डेढ़ लाख वोटों से मात देते हुए अपना वर्चस्व कायम किया. सियासी दलों की इम्तिहान समय में लोकसभा क्षेत्र में 1713 583 मतदाता भाग्य विधाता बनेंगे. पांच विधानसभा क्षेत्र वाली लोकसभा में सर्वाधिक मतदाता कायमगंज सुरक्षित सीट पर हैं. जबकि, सबसे कम मतदाता अमृतपुर विधानसभा क्षेत्र में है.

फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर कुल मतदाता :लोकसभा क्षेत्र के कुल मतदाताओं में महिला मतदाताओं की संख्या 789298 है. आयोग की ओर से लोकसभा चुनाव आयोग की घोषणा के साथ ही प्रशासनिक स्तर से हलचल तेज हो गई. प्रशासन की ओर से लोकसभा चुनाव की आहट पहले से ही महसूस की जा रही थी. इसके आधार पर ही लगभग सभी आवश्यक तैयारियां भी पूर्ण कर ली गई हैं.मतदेय स्थलों से लेकर संवेदनशील, अति संवेदनशील, क्रिटिकल आदि बूथों को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है. इसके साथ ही सेक्टर और जोनल व्यवस्था भी निर्धारित की जा चुकी है. पांच विधानसभा क्षेत्र वाली फर्रुखाबाद लोकसभा सीट पर कुल 1713558 मतदाता हैं. इसमें अलीगंज विधानसभा क्षेत्र में 331484, कायमगंज में 385644, अमृतपुर में 313882, फर्रुखाबाद में 363656 और भोजपुर विधानसभा क्षेत्र में 318917 मतदाता है. इसमें 45 ट्रांसजेंडर भी शामिल हैं.लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक दलों की ओर से गणित बनाई जा रही है. उसमें महिला वोटरों को अपने पाले में करने को है. इस बार प्रशासन की ओर से महिला वोट बनवाए जाने को लेकर खासी गंभीरता दिखाई गई. लोकसभा क्षेत्र में महिला वोटों का आंकड़ा देखें तो सर्वाधिक महिला मतदाता कायमगंज विधानसभा क्षेत्र में हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में 178849 महिला मतदाता हैं. जबकि, अलीगंज विधानसभा क्षेत्र में 149562, अमृतपुर विधानसभा क्षेत्र में 144383 मतदाता हैं.फर्रुखाबाद विधानसभा क्षेत्र में महिला मतदाताओं की संख्या 169314 और भोजपुर में 147190 महिला वोटर हैं. इस तरह से पूरे लोकसभा क्षेत्र में कुल 789298 महिला मतदाता हैं. 2024 की लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक राजनीतिक पार्टियों तैयारी में जुटी हैं. एक तरफ भाजपा फिर से बहुमत के साथ सत्ता में आने का दावा कर रही है.दूसरी तरफ महागठबंधन की कवायद भी दिख रही है. कांग्रेस अपनी खोई साख जुटाने में लगी है. इस सबके बीच फर्रुखाबाद लोकसभा के चुनावी समीकरण में जाति समीकरण अधिक प्रभावी दिखाई दे रहा है. लोकसभा में पिछड़े जाति के मतदाताओं की संख्या अधिक है. सर्व अधिक संख्या लोधी व राजपूत मतदाताओं की है. वहीं, यादव मतदाता भी काफी संख्या में है. स्वर्ण मतदाताओं में ठाकुर और ब्राह्मण मतदाताओं का भी प्रभाव है. वहीं, अल्पसंख्यक मतदाता भी यहां हैं. अनुसूचित जाति के मतदाताओं में सर्वाधिक संख्या जाटव मतदाताओं की है.