संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। चित्रकूटधाम मंडल में अन्ना प्रथा कम हुई ही नहीं पर कृषि विभाग नें झूठ का पुलिंदा खोलना शुरू कर दिया है। लफ्फाजी की बयार बहा दी है की अन्ना प्रथा खत्म होने के साथ ही अब किसानों का रुझान जायद की खेती की ओर बढ़ गया है। निकम्मे अधिकारियों नें इसी कड़ी में कहा है की मंडल में जायद इस वर्ष 10248 हेक्टेयर में बोया गया है। यह हकीकत से कोसों दूर है।
हकीकत यह है की जिले में अन्ना प्रथा से परेशान किसान जायद की खेती से कतराते हैं। किसानों का कहना हैं कि अन्ना गोवशों से खरीफ व रबी की फसल बचाना मुश्किल है, जायद की फसल तो बेहद मुश्किल है। रबी की फसल कटने के बाद मार्च में लोग पालतू गोवंश तक छुट्टा छोड़ देते हैं, मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ द्वारा अन्ना पशुओं पर रोक के प्रयास अफसरशाही चर गई। 95 फीसदी गोवंश अब भी सड़कों पर हैं। ऐसे में किसानों का रुझान जायद की खेती की ओर कैसे बढ़ सकता है?
उप निदेशक विजय कुमार ने बताया कि इस वर्ष मंडल के चारों जनपदों में जायद में मूंग, उर्द, सब्जियां, हरा चारा आदि की बुआई का लक्ष्य 10248 हेक्टेयर रखा गया था। जो पिछले साल से एक हजार हेक्टेयर अधिक है। बांदा में 1299, चित्रकूट में 818, महोबा में 5035 व हमीरपुर में 3096 हेक्टेयर में जायद की बुआई का लक्ष्य है। पिछले एक सप्ताह में मंडल में 2897 हेक्टेयर में जायद की बुआई हुई है।