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झुग्गी झोपड़ी तथा मलिन बस्ती के बच्चों ने बोर्ड परीक्षाओं में किया शानदार प्रदर्शन

    हौंसलों को मिला सहारा तो उम्मीदों ने भरी उड़ान


आर्मी, शिक्षक, वकील और पुलिस बनकर देशसेवा करने का जज्बा

आगरा। सपनों को उड़ान भरने में वक़्त नही लगता जब सपनों के पंखों को निडर हौसलों के हवा का सहारा मिल जाये। कुछ ऐसा ही गुदड़ी के लालों ने कर दिखाया। झुग्गी झोपड़ी तथा मलिन बस्तियों के बच्चे ‘पारस’ के संपर्क में आकर सोने की तरह दमक रहे हैं। उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में भी अपनी चमक बिखेर दी। झुग्गी झोपड़ी और मलिन बस्तियों के बच्चों की प्रतिभा की चहुंओर तारीफ हो रही है। पंचकुईया झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले परिवार नीबू मिर्च बांधकर शहर के लोगों की नजर उतारने का काम करते हैं लेकिन खुद को जमाने की नजर लगी हुई है। समाज की मुख्यधारा से बहुत दूर हैं। बच्चे भी भीख मांगते हैं।

ऐसे में देवदूत बनकर आए सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस इनके बच्चों के हुनर को लगातार तराश रहे हैं। सरकारी स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराया। उनकी पढ़ाई लिखाई कराई। सभी को बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियां कराईं। इनके घर बिजली पानी नहीं है। स्ट्रीट लाइट के नीचे बच्चों परीक्षाओं की तैयारी की। एक लड़के ने 12वीं तथा तीन लड़कियों ने 10वीं की परीक्षा दी। जिसमें लड़के शेरअली खान ने 12वीं में 66 फीसदी तथा अन्य लड़कियों करीना, निर्जला और कामिनी ने दसवीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। शेर अली आर्मी में सैनिक बनकर देशसेवा करना चाहता है। वहीं करीना डॉक्टर, निर्जला पुलिस और कामिनी शिक्षक बनना चाहती है।

‘फूल’ ने बिखेरी महक
वजीरपुरा निवासी सानिया के पिता अबूलाला की दरगाह पर फूल बेचते हैं। आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई छोड़ दी लेकिन नरेश पारस सहारा बनकर आए। उन्होंने सेंट जोंस इंटर कॉलेज में दुबारा से दाखिला कराया। फीस भरी। परीक्षाओं की तैयारी की। फर्स्ट डिवीजन 12वीं की परीक्षा पास की। सानिया वकील बनना चाहती है।

बालिका वधु बनी बहनों ने इंटर की परीक्षा में दिखाई प्रतिभा


देवरी रोड निवासी चार भाई बहनों के माता पिता की बीमारी से मौत हो गई। रिश्तेदार बड़ी बहनों को बालिका वधु बनाना चाहते थे। राजस्थान में सौदा कर दिया था। नरेश पारस ने उनको मुक्त कराकर सहारा बने। सभी की पढ़ाई लिखाई शुरू की। पिछले पांच सालों से बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। दोनों बहनों ने 12वीं की परीक्षा पास की।