- पाँच वर्षों में 7.3 लाख लोगों की जांच में मिले 184 मलेरिया रोगी हुए स्वस्थ
- एकत्रित हुए पानी की साफ सफाई और मच्छरों से बचाव के उपाय में सामुदायिक सहयोग जरूरी
आगरा, मलेरिया के लक्षण दिखने पर शीघ्र जांच और इलाज से यह पूरी तरह से ठीक हो जाता है । जिले में वर्ष 2019 से लेकर 23 अप्रैल 2024 तक की अवधि में करीब 7.3 लाख लोगों की मलेरिया की जांच करवायी गयी, जिनमें से 184 लोग मलेरिया की बीमारी से पीड़ित मिले। सभी का इलाज किया गया और सभी ठीक भी हो गये। शीघ्र हस्तक्षेप के कारण इस अवधि में इस बीमारी के कारण कोई मौत रिपोर्ट नहीं हुई ।
यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरुण श्रीवास्तव ने दी। उन्होंने बताया कि घर के बाहर और भीतर एकत्रित हुए पानी की साफ सफाई और मच्छरों से बचाव के उपाय में विभागीय प्रयासों के साथ साथ सामुदायिक सहयोग आवश्यक है। इसे बढ़ाने के उद्देश्य से ही प्रति वर्ष 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष के दिवस की थीम रखी है-‘‘अधिक न्यायोचित विश्व के लिए मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में तेजी लाना ।’’
वेक्टर बोर्न डिजीज के नोडल अधिकारी डॉ. सुरेंद्र मोहन प्रजापति ने बताया कि वर्ष 2027 तक प्रदेश में भी मलेरिया का उन्मूलन करना है और इस कार्य के लिए समुदाय की भागीदारी बढ़ाने पर जोर है । लोगों को ‘‘हर रविवार, मच्छर पर वार’’ के नारे को साकार करना होगा और इस दिन घर के आसपास एकत्रित पानी को साफ करना पड़ेगा। कूलर और अन्य पात्रों के पानी की भी साफ सफाई जरूरी है। इस बीमारी का मच्छर साफ पानी में एकत्रित होता है और सुबह शाम काटता है । बारिश का मौसम शुरू होने से पहले पानी के टैंक, गमले, पशु पक्षियों के पीने के पानी के पात्र, नारियल के खोल और बोतल जैसी सामग्री में पानी को इकट्ठा होने से रोकने के लिए उपाय करने हैं या फिर निष्प्रयोज्य सामग्री को नष्ट कर देना है ।
जिला मलेरिया अधिकारी राजेश गुप्ता ने बताया कि संक्रमित मादा एनाफिलिज मच्छर के काटने से यह बीमारी होती है । मच्छर के काटने के तेरहवें से चौदहवें दिन में इसके लक्षण आते हैं। नियमित अंतराल पर तेज बुखार के साथ ठंड लगना, कमजोरी, पसीना होना, बार बार उल्टी होना, पेशाब में जलन, मूत्र का कम आना, लाल मूत्र आना और खाना खाने में असमर्थता इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। इसके रैपिड डॉयग्नोस्टिक टेस्ट (आरडीटी) की सुविधा आशा कार्यकर्ता से लेकर उच्च चिकित्सा संस्थानों तक में उपलब्ध है । स्लाइड से जांच की व्यवस्था सभी सरकारी अस्पतालों में मौजूद है और इसकी सभी दवाएं भी वहां उपलब्ध है।
तीन दिन में ठीक हो जाता है जानलेवा मलेरिया
सहायक मलेरिया अधिकारी नीरज कुमार ने बताया कि मलेरिया के दो प्रकार प्लाजमोडियम वाईबैक्स (पीबी) और प्लाजमोडियम फैल्सीफोरम (पीएफ) प्रमुख तौर पर हमारे अंचल में पाए जाते हैं। पीएफ मलेरिया का समय से इलाज न करने पर जटिलताएं अधिक बढ़ सकती हैं और इसके कई मामलों में रक्तस्राव का भी होने लगता है। अगर इसकी समय से पहचान कर इलाज हो तो महज तीन दिन की दवा से ठीक हो जाता है । वर्ष 2024 में अभी तक मलेरिया का एक मरीज मिला है, वह भी उपचार के उपरांत पूरी तरह स्वस्थ है।
किट से पहचान होने पर बनती है स्लाइड
मलेरिया इंस्पेक्टर योगेश चौधरी ने बताया कि जब कोई आशा कार्यकर्ता किसी संभावित मरीज का किट से जांच करती है और उसमें मलेरिया की पुष्टि होती है तो लैब टेक्निशियन की मदद से स्लाइड जांच भी करायी जाती है। समय समय पर एलटी, सीएचओ और आशा का इस संबंध में संवेदीकरण भी किया जाता है ।