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जिला चिकित्सालय बन गया है कसाई बाड़ा? लूट सके तो लूट की मुहिम का बोलबाला


संवाद/ विनोद मिश्र


बांदा। जिला अस्पताल बन गया है कसाईबाड़ा। यहां मरीजों का आर्थिक शोषण चरमोत्कर्ष पर है! हालात यह है की लूट सके तो लूट की कहावत पूरी तरह चरित्रार्थ होती है। मरीजों को दवा बाहर से खरीदने को बाध्य होना पड़ रहा है। यहां डॉक्टरों की जगह प्राइवेट एंबुलेस संचालकों की हुकूमत चलती है। एंबुलेस संचालक कमीशन का डाक्टरों को लालच देकर मरीजों को रेफर करवा ले जाते है। आश्चर्य की बात यह भी है की टांका लगाने के नाम पर मरीजों के तीमारदारों से बाहर से धागा मंगवाया जाता है। जिम्मेदार सीएमओ एवं सीएमएस की इन अव्यवस्थाओं पर आश्चर्यजनक चुप्पी क्यों?यह गंभीर चर्चा का विषय है।


मरीज को भर्ती करने के बाद डॉक्टर मरीजो को बाहर के इंजेक्शन लिखते है। एंबुलेस संचालक डॉक्टरो से कह कर मरीजो का जबरन सीटी स्कैन करवा देते है। फिर अपनी एंबुलेस में मरीजो को ले जाते है। प्राइवेट सीटी स्कैन संचालक डॉक्टर और एंबुलेस चालको को कमीशन देते है! चिकित्सा कर्मियों द्वारा मरीजो के साथ अभद्रता आम बात बन गई है। दुर्घटना में घायल मरीज ट्रामा सेंटर आते है। टांका लगाने के लिए कोई डॉक्टर नहीं रहते है।बार्ड ब्वाय टांके लगाते है!इसमें भी वसूली के आरोप लगते हैं। जिला अस्पताल के इई गिर्द खुले मेडिकल स्टोर संचालक मरीजो को खुले आम लूट रहे है।


जिला अस्पताल में लगी सीटी स्कैन मशीन डेढ माह से बंद पड़ी है। मरीजो की सीटी न होने से तीमारदारो को काफी दिक्कतो का सामना करना पड़ता है। जरा सी खरोंच आने पर डॉक्टर सीटी स्कैन करवाने की पर्ची थमा देते है। सीटी स्कैन के रेडियोग्राफर ने बताया कि उच्चाधिकारियो को सूचना दे दी गई है। जिला अस्पताल में गंदगी का बोलबाला है। हर वार्ड गंदगी से लबरेज रहते हैं। नर्सिंग ड्यूटी वालों से तो भर्ती मरीज उनके तीमारदारों से व्यवहार अनुकूल नहीं रहता। शिकायत पर कोई सुनने वाला नहीं।