राजनीति

शतरंज की कुछ चालें अभी बाकी हैं – जयराम रमेश

नई दिल्ली। अमेठी छोड़ राहुल गाँधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने की खबर पर कई लोगों की अलग-अलग राय है। उन्होंने कहा कि याद रखें, वह राजनीति और शतरंज के अनुभवी खिलाड़ी हैं। पार्टी नेतृत्व काफी विचार-विमर्श के बाद और एक बड़ी रणनीति के तहत अपने फैसले लेता है। इस एक फैसले ने भाजपा, उसके समर्थकों और उसके चाटुकारों को भ्रमित कर दिया है। बीजेपी के स्वयंभू चाणक्य, जो ‘परंपरागत सीट’ की बात करते थे, अब समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या जवाब दें।
जयराम रमेश ने कहा कि रायबरेली न केवल सोनिया जी की बल्कि स्वयं इंदिरा गांधी की भी सीट रही है। यह कोई विरासत नहीं है; यह एक जिम्मेदारी और कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि जहां तक ​​गांधी परिवार की बात है तो सिर्फ अमेठी-रायबरेली ही नहीं, उत्तर से लेकर दक्षिण तक पूरा देश गांधी परिवार का गढ़ है। राहुल गांधी उत्तर प्रदेश से तीन बार और केरल से एक बार सांसद रह चुके हैं। प्रधानमंत्री विंध्य के नीचे एक भी सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत क्यों नहीं जुटा पा रहे हैं? उन्होंने कहा कि कांग्रेस परिवार लाखों कार्यकर्ताओं की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं पर बना है। कल एक प्रतिष्ठित पत्रकार अमेठी में कांग्रेस पार्टी के एक जमीनी कार्यकर्ता से व्यंग्यपूर्वक पूछ रहे थे, “टिकट पाने की आपकी बारी कब आएगी?” यह रहा!

वरिष्ठ नेता ने कहा कि कांग्रेस का एक आम कार्यकर्ता अमेठी में भाजपा के अहंकार को तोड़ेगा। उन्होंने कहा कि प्रियंका जी ज़ोर-शोर से प्रचार कर रही हैं और अकेले ही नरेंद्र मोदी के झूठ को चुप करा रही हैं। जिस तरह से उन्होंने मार्च 1985 में संपत्ति शुल्क के उन्मूलन पर प्रधानमंत्री द्वारा फैलाई जा रही अफवाहों का जवाब दिया, वह एक चुभने वाली फटकार थी। इसलिए यह जरूरी था कि वह सिर्फ एक निर्वाचन क्षेत्र तक ही सीमित न रहें। वह देशभर में प्रचार कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि आज स्मृति ईरानी की एकमात्र पहचान यही है कि वह राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से चुनाव लड़ती हैं। अब उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता खत्म हो गई है। रमेश ने कहा कि स्मृति ईरानी को अब निरर्थक बयान देने के बजाय स्थानीय विकास: बंद अस्पतालों, इस्पात संयंत्रों और आईआईआईटी के बारे में जवाब देना होगा। यह एक लंबा चुनाव है। शतरंज की कुछ चालें अभी भी खेली जानी बाकी हैं। आइए थोड़ा इंतजार करें।
साभार – प्रभासाक्षी