राजनीति

संघर्ष और शहादत,स्वतंत्रता की जंग,रायबरेली का अमर मुंशीगंज

संवाद।। अज़हर उमरी

रायबरेली,कांग्रेस महासचिव श्रीमती प्रियंका गांधी जी ने मुंशीगंज, रायबरेली स्थित किसान शहीद स्मारक पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए अपनी श्रद्धांजलि दी l
1920-21 के असहयोग आंदोलन के दौरान अवध में किसान आंदोलन छिड़ गया। यह आंदोलन बाबा रामचंद्र और मदारी पासी के नेतृत्व में चला था। आंदोलन के दौरान रायबरेली के मुंशीगंज में भयानक गोलीकांड हुआ। 7 जनवरी 1921 को सई नदी के पुल पर किसानों को घेरकर गोलियों से भून दिया गया था।
यह स्मारक अंग्रेजो के विरुद्ध शहादत में शहीद हुए किसानों को एक अमूर्त श्रद्धांजलि है। यह स्मारक इस बात का प्रतीक है की जिला रायबरेली भी जंगे आजादी में अपना नाम दर्ज करा चुका है। यह प्रतीक है उन सभी शहीदों के अदम्य साहस और वीर शौर्य की जिन्होंने अपने रक्त से आजादी के पूर्व ही आजादी की पट कथा लिख दी थी। यह स्मारक उन्हीं अमर शहीदों की शहादत की अमर गाथा को चित्रित करता है।

रायबरेली में हुआ यह गोलीकांड गुलाम भारत में 1919 में हुऐ जलियाँवाला बाग हत्याकांड के बाद दूसरा सबसे बड़ा हत्याकांड था। जिसे दूसरा जलियाँवाला बाग हत्याकांड की संज्ञा दी जाती है।
इस घटना की सूचना मिलने पर पंडित मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू जी रायबरेली पहुंचे थे और पीड़ित किसानों से मुलाकात की। इस नरसंहार के बाद यह आंदोलन और तेज हुआ तो मोतीलाल नेहरू और जवाहरलाल नेहरू को गिरफ्तार कर लिया गया था।
बाद में शहीद किसानों की स्मृति में यहां पर शहीद स्मारक बनाया गया। 1921 में रायबरेली की जनता के साथ शुरू हुआ कांग्रेस का यह रिश्ता आजतक कायम है।
इतिहास के पन्नो में दर्ज यह रिश्ता पीढ़ियों को प्रेरणा देता रहेगा । रायबरेली की पावन धरती जिसमें किसानों के आंदोलन की आजादी की वो खुशबू है,जिसने अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला कर रख दी थी। और इस माटी ने इस देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, और अब राहुल जी को अपनी सेवा का मौका दिया है। इसके लिए कांग्रेस पार्टी हमेशा इस माटी ऋणी रहेगी l यह रिश्ता परिवार का है,यह रिश्ता भावनाओं का है, यह रिश्ता भारतीयों के एक होने का है l यह रिश्ता सौ साल का है।