देहरादून: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा, उत्तराखंड के मदरसे में पढ़ रहे बच्चों को बिहार के जिला अररिया वापस भेजा जाएगा। उन्होंने कहा, बिना माता-पिता की सहमति के किसी भी बच्चे को धर्म के विपरीत शिक्षा देना अपराध है।
कहा, अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को 15 दिन के भीतर इस पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके बाद इस पर पुलिस कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। कहा, राज्य में बड़ी संख्या में मदरसे बिना मान्यता चल रहे हैं। सभी मदरसे बंद होंगे। बच्चों को स्कूल भेजना सरकार का दायित्व है। दूसरे राज्यों से यहां बच्चे लाकर मदरसों में पढ़ाया जाना गलत है।
कहा, मदरसों की मैपिंग के लिए 10 जून तक का समय दिया गया है। आयोग ने मदरसा वली उल्लाह दहलवी व मदरसा दारूल उलूम के निरीक्षण के दौरान पाया कि इनमें न सिर्फ अन्य राज्यों के बच्चे पढ़ रहे हैं, बल्कि इनमें बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है। जहां बच्चे सोते हैं, वहीं खाना बनता है। जहां दीनी तालीम पढ़ते हैं, वहीं लोग नमाज भी पढ़ने आते हैं।
कहा, बच्चों के खाने और सोने की दिनचर्या बेतरतीब है। यहां के कारी, मौलवी के बच्चे खुद विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं। हैरानी की बात यह है कि शिक्षा विभाग को इन मदरसों की जानकारी नहीं हैं। आयोग की ओर से इस मसले पर सरकार को नोटिस जारी किया जाएगा।
शिक्षा विभाग के अफसरों के खिलाफ हो कार्रवाई : आयोग
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा, बिना मान्यता एवं डमी मदरसों और विद्यालयों के मामले में यदि जिला शिक्षा अधिकारी एवं राज्य के शिक्षा अधिकारी शामिल हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई हो। सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के मामले में कहा, उत्तराखंड में सर्वे चल रहा है।
कहा, देश में 70 साल बाद भी इस तरह के बच्चों के लिए कोई नीति नहीं बनी। पहली बार केंद्र सरकार ने सर्वे कर आयोग के माध्यम से इन बच्चों के लिए एसओपी बनाई है। आरटीई के तहत आठवीं कक्षा के बाद बच्चों के पढ़ाई के बारे में उन्होंने कहा, इस मसले पर आयोग की ओर से विभिन्न स्तरों पर चर्चा हो चुकी है।
बता दे कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने देहरादून के कारगी ग्रांट स्थित कुछ मदरसों का औचक निरीक्षण कर इसका खुलासा किया है।जहां उत्तराखंड के मदरसों में उत्तर प्रदेश और बिहार से लाकर बच्चे पढ़ाए जा रहे हैं। मदरसों में इस तरह के 21 बच्चे मिले हैं।
बताया कि राज्य के मदरसों में वर्तमान में 196 बच्चे हिंदू और गैर इस्लामिक धर्मों के पढ़ रहे हैं। हिंदू बच्चों काे मदरसों में पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र और राज्य की मूल अवधारणा के विपरीत है। इसके लिए अल्पसंख्यक और शिक्षा विभाग बराबर के भागीदार हैं।