अन्यउत्तर प्रदेश

बिजली विभाग का कमाल : सवा दो अरब रुपये खर्च, पर आपूर्ति नहीं हो पा रही दुरुस्त


संवाद,/ विनोद मिश्रा


बांदा। बिजली विभाग रिवैंप योजना भ्रष्टाचार से गुलजार है? ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने और जर्जर लाइन बदलने का काम तेजी से करानें के दावे हैं जो खोखले साबित हो रहे हैं। सवा दो अरब रुपये से ज्यादा रुपये खर्च किए गए जा चुके हैं, पर शिकायतों में कोई कमी नहीं आ पा रही। यह किस्सा मंडल के चारों जिलों का है। 50 दिनों में ट्रांसफार्मर फुंकने की जहां 210 शिकायतें आईं, वहीं 4120 उपभोक्ताओं ने लाइन टूटने व फाल्ट होने की शिकायतें कीं।शासन ने चित्रकूटधाम मंडल के चारों जिलों में 24 घंटे बिजली देने के निर्देश हैं। इसके बावजूद भीषण गर्मी में लोगों को कई-कई घंटे बिजली कटौती का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति तब है जबकि दक्षिणांचल विद्युत वितरण खंड के चित्रकूट जोन में रिवैंप योजना के तहत करीब एक वर्ष से ट्रांसफार्मर की क्षमता बढ़ाने और जर्जर लाइन और खंभे बदलने का तेजी से कार्य कराया जा रहा है।


बिजली विभाग रिवैंप योजना में 49 करोड़ निर्माण और 162 करोड़ रुपये सामग्री पर खर्च कर चुका है। इस तरह करीब 2.53 अरब रुपये खर्च होने के बाद भी व्यवस्था में सुधार नजर नहीं आ रहा है। इसकी बानगी उपभोक्ताओं की आने वाली शिकायते हैं।
बिजली विभाग उपभोक्ताओं की सुविधा के लिए हेल्पलाइन नंबर 1091 शुरू किया है। एक अप्रैल से दस मई तक इसमें ट्रांसफार्मर फुंकने की 702 और लाइन फाल्ट होने व तार आदि टूटने की 4100 शिकायतें आईं।वर्कशाप के अधिकारियों के मुताबिक लाइन फाल्ट और ट्रांसफार्मर फुंकने की करीब 5060 शिकायतें पेंडिंग में हैं।


मंडल मुख्यालय के वर्कशाप में करीब 300 ट्रांसफार्मर मरम्मत के लिए रखे हैं। एक ट्रांसफार्मर के दुरुस्त करने में 10 से 32 हजार रुपये तक का खर्च आता है। कर्मचारी 10 ट्रांसफार्मर तैयार करते हैं तो 20 फुंके हुए ट्रांसफार्मर और आ जाते हैं।अधीक्षण अभियंता आर के मिश्रा कहते हैं की गर्मी में बिजली की खपत बढ़ती है, इससे शिकायतों में भी इजाफा होता है। विभाग की ओर से लगातार शिकायतों का निस्तारण किया जाता है। रिवैंप योजना से काम होने के बाद फाल्ट और ट्रांसफार्मर फुंकने की स्थिति में काफी सुधार हुआ है।