संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए जीनोम तकनीक का इस्तेमाल होगा। विशेषज्ञों का दावा है कि इससे प्रति हेक्टेयर 4-5 क्विंटल तक उपज में इजाफा होगा। साथ ही फसलों को होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है। नए खरीफ सीजन से इस तकनीक का ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल होगा।
बुंदेलखंड में खरीफ सीजन से किसानों को सर्वाधिक उम्मीद रहती है। पिछले खरीफ सीजन में 2.42 लाख हेक्टेयर में सिर्फ दलहनी फसलों का ही उत्पादन हुआ था। इनमें उड़द, मूंग, मूंगफली, तिल एवं अरहर की फसल सर्वाधिक हुई। इसमें उड़द की 65078 हेक्टेयर, मूंग की 6299 हेक्टेयर, अरहर की 1238 हेक्टेयर, मूंगफली की 30593 हेक्टेयर और सर्वाधिक तिल की 1,26,963 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि नई जीनोम तकनीक का इस्तेमाल अधिकांश खरीफ फसलों में किया जा सकता है। इसके जरिये सबसे पहले परंपरागत तरीके से होने वाली रोपाई व्यवस्था बदली जाएगी। 20 दिन बाद टॉप ट्रेसिंग होगी। प्रसार अधिकारी का कहना है कि जीनोम तकनीक का खरीफ सीजन में ट्रायल के तौर पर इस्तेमाल होगा। सफलता मिलने पर इसका सभी ब्लॉकों में इस्तेमाल होगा।