जीवन शैली

दुनिया और आख़िरत में कामयाबी चाहिए तो हालात से ऊपर उठकर सोचिये : मुहम्मद इक़बाल


आगरा । मस्जिद नहर वाली के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के ख़ुतबा में लोगों को हालात से ऊपर उठकर सोचने के बारे में नबी अकरम के वाक़ियात बताए। उन्होंने कहा कि जब अल्लाह के नबी हिजरत करके अपने रफ़ीक़ अबूबकर सिद्दीक़ रज़ी अल्लाहु ताला अन्हु के साथ मदीना में पहुंचे तो मदीना वालों ने आपका इस तरह इस्तिक़बाल किया, “आप दोनों यहां महफ़ूज़ हैं और हमारे सरदार हैं।”― मुसनद अहमद हदीस नंबर 12234। मगर अल्लाह के नबी ने जो पैग़ाम दिया वो हालात से बहुत ऊपर का था। सीरह इब्ने हिशाम जिल्द नंबर 1 और सफ़ह नंबर 503 को देखें तो मालूम होगा, आपने ‘मदीना डिक्लेरेशन’ जारी किया। उसमें लिखा कि, “यहूद के लिए उनका दीन और मुस्लमानों के लिए उनका दीन”। ये बहुत बड़ी बात है जब कि आप उस वक़्त इस पोज़ीशन में थे कि मुकम्मल तौर पर इस्लाम का ऐलान कर सकते थे। लेकिन आपने ऐसा नहीं किया । हमारे लिए इस में बहुत बड़ा ‘सबक़’ है। इसी तरह बदर में 70 मुशरिकीन क़ैदी बने, उनकी रिहाई का फ़िदिया जो तय किया गया, पूरी दुनिया में उसकी मिसाल मिलना मुश्किल है। फ़िदिया था कि वो मदीना के बच्चों को लिखना सिखा दें। मुसनद अहमद हदीस नंबर 2216। आपकी इस पॉलिसी के हिसाब से मदीना में इस पहले स्कूल के तमाम टीचर मुशरिकीन गिरोह से ताल्लुक़ रखते थे। इस तरह की आपको बहुत सी मिसालें मिल जाएँगी अल्लाह के नबी की सीरत में, जो कि हमारे लिए ‘नमूना’ हैं । हमें भी इसी तरह कोशिश करनी चाहिए कि हालात से ऊपर उठकर सोचें। ये नबी का तरीक़ा है, इस पर अमल करेंगे तो दुनिया और आख़िरत में कामयाबी हमारा मुक़द्दर होगी। इंशा-अल्लाह। अल्लाह हम सबको इसकी तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।