जीवन शैली

डर के माहौल को अपने लिए चैलेंज समझकर अपनी सलाहियतों का इस्तेमाल करें : मुहम्मद इक़बाल

आगरा । मस्जिद नहर वाली के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के ख़ुत्बे में नमाज़ियों को डर और ख़ौफ़ के माहौल को चैलेंज समझ कर अपने लिए इलाज बताया। उन्होंने कहा इन्सान उसी वक़्त अपनी सलाहियतों को इस्तिमाल करता है जब उसको किसी से डर या फिर किसी दुश्मन से ख़तरा होता है। ख़तीब मुहम्मद इक़बाल ने एक वाक़िया का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा एक चिड़ियाघर के डायरेक्टर ने बताया कि हमारे यहां हिरन बहुत ही आराम के माहौल में रहते हैं हमने महसूस किया कि इस तरह वो सब हिरन बिल्कुल सुस्त और डल से हो गए हैं जो चुस्ती उनमें होनी चाहिए वो ख़त्म हो रही है। डाक्टर से भी मशवरा किया गया। हल ये निकला कि कुछ देर के लिए उनके पिंजरे में एक भेड़िए को छोड़ा जाए। इस फ़ॉर्मूले ने काम किया, सब हिरन अपनी असली पोज़ीशन में आगए। अब हम कभी-कभी भेड़िए को उनके पिंजरे में छोड़ते जिससे वहां एक डर का माहौल बन जाता। इन्सान का मामला भी इसी तरीके का है। अगर आराम में रहे तो उसका ज़हन एक तरह से ‘डल’ हो जाता है। ये अल्लाह ताला की हिक्मत का मामला है। इन्सान के समाज में उसके कंपेटिटर्स मौजूद हों तो वो इन्सान ज़हनी तौर पर जागा हुआ रहता है। अल्लाह ने इन्सान में बेशुमार सलाहियतें रखी हैं, बस उनको जगाने की ज़रूरत है, वो चाहे कोई डर का माहौल हो या किसी दुश्मन का ख़ौफ़, किसी भी इन्सान की तरक़्क़ी के लिए चैलेंज बहुत बड़ा रोल अदा करता है। ये चैलेंज ही इस को तरक़्क़ी की तरफ़ ले जाता है। इसलिए हमें इस डर और ख़ौफ़ के माहौल को एक चैलेंज के तौर पर लेने की ज़रूरत है। चैलेंज एक तरह से सोए हुए इन्सान को जगाने का काम करता है, इसलिए हमें घबराने की ज़रूरत नहीं चैलेंज समझ कर अपने आपको जगाने की ज़रूरत है और अपनी सलाहियतें, जो अल्लाह तआला की तरफ़ से हमें मिली हुई हैं, उनको इस्तिमाल करके ज़िंदगी को कामयाबी की तरफ़ ले जाने की कोशिश करें। जब हम कोशिश करेंगे तो अल्लाह की मदद भी हमारे साथ आएगी, इंशा-अल्लाह। अल्लाह हम सबको चैलेंज के साथ अपनी ज़िंदगी को कामयाबी की तरफ़ ले जाने की तौफ़ीक़ अता फ़रमाए। आमीन।