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जिला प्रदूषण की भयावह चपेट में : प्लास्टिक कचरा बना यमराज

संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जिला प्रदूषण की चपेट में है। इसके लिये नौकरशाही नकारा के रोल में सी है! आरोप है की नाकारापन के चलते प्रतिबंधित प्लास्टिक पर अंकुश नहीं लग पा रहा।चौतरफा प्रतिबंधित प्लास्टिक का साम्राज्य है। इस साम्राज्य का अफसर भी झुक -झुककर सलाम कर रहें हैं। स्थिति यह है की सभी आठ नगर निकायों में प्रतिदिन निकलने वाला 11 टन प्लास्टिक कचरा इसका उदाहरण है। सब्जी, किराना का सामान हो या दवाएं अथवा अन्य कोई सामग्री पॉलिथीन में ही लोग ले जा रहे हैं। बाजार में भी पॉलिथीन की थोक व फुटकर बिक्री धड़ल्ले से की जा रही है।बांदा सराय बाजार में तो बेखौफ बिक्री होती है।


पालिका प्रशासन नें कई साल से बेफिक्री की चादर तान रखी है। इस लापरवाही से जिले का पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है।
नगर पालिका के आंकड़ों के मुताबिक जिले के सभी नगर निकायों में इस समय हर रोज करीब 11.06 टन प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया जा रहा है। नगर पालिका बांदा में सवा दो लाख की आबादी के बीच हर दिन 6.07 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। नगर पालिका अतर्रा में 60 हजार की आबादी के बीच प्रतिदिन 1.70 टन, नगर पंचायत बबेरू में 34742 आबादी के बीच 9.6 क्विंटल, बिसंडा नगर पंचायत में 5.2 क्विंटल, मटौंध नगर पंचायत में 6.5 क्विंटल, नरैनी में 3.8 क्विंटल, ओरन में 1.7 क्विंटल और तिंदवारी नगर पंचायत में तीन क्विंटल कचरा नगर पंचायत इकट्ठा कर रही है।

पाबंदी के बावजूद पॉलिथीन का उपयोग कम होता नहीं दिख रहा है। लोग धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। पालिका की शिथिलता के कारण बाजार में खुलेआम थोक और फुटकर में पॉलिथीन बिक रही है। सड़कों के किनारे, खाली प्लाॅटों और अस्पताल परिसर के पीछे कचरे में प्लास्टिक का ढेर देखा जा सकता है। यह प्लास्टिक कचरा जिले की हवा दूषित कर रहा है।