उत्तर प्रदेशजीवन शैली

जंजीरों में जकड़ा मानसिक विक्षिप्त बालक नरेश पारस के प्रयास से पहुंचा मानसिक आरोग्यशाला

शनिवार को मानसिक आरोग्यशाला नहीं किया था बच्चे को भर्ती आगरा कॉलेज फुटपाथ पर परिवार के साथ दिन गुज़ार रहा था विक्षप्त बालक

आगरा। आगरा कॉलेज के सामने फुटपाथ पर अपनी मां के साथ गर्मी में जंजीरों में जकड़ा 12 वर्षीय विक्षित बालक को आज समाजसेवी नरेश पारस के द्वारा मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती करा दिया गया है। कल से पीड़ित परिवार उसको लेकर भूखे पेट सड़क पर रहने को मजबूर था। आने बारे में जानकारी देते हुए पीड़ित महिला ने बताया वो गोरखपुर की रहने वाली है। ससुराल खलीलाबाद जनपद संत कबीर नगर है। वो अपने बेटे को लेकर आगरा में मानसिक आरोग्यशाल स्वास्थ्य में इलाज के लिए पहुंची थी।

लेकिन वहां के चिकित्सा और प्रबंधन ने मानसिक रूप से विक्षिप्त नाबालिक को भर्ती करने के लिए इनकार कर दिया। जिसके बाद हताश होकर परिवार आगरा की सड़कों पर भूखे पेट रहने को मजबूर है। 12 वर्ष का इकलौता पुत्र मानसिक बीमार है। वो कभी भी किसी पर भी हमला कर देता है। कई बार खुद को नुकसान पहुंचा लेता है। मजबूरन उसे जंजीरों में जकड़ कर रखना पड़ता है। शनिवार को हम उसे मानसिक आरोग्यशाला में इलाज के लिए लाए थे। यहां चिकित्सकों ने उसे भर्ती नहीं किया और मंगलवार को बुलाया गया है। उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि किसी धर्मशाला एवं गेस्ट हॉउस में ठहर सकें।

मजबूरन उन्हें आगरा कॉलेज के पास फुटपाथ पर रहकर गुजारा करना पड़ रहा है। इतनी गर्मी के बीच पानी के लिए भी काफी परेशानी उठानी पड़ती है। कभी कोई खाने के लिए दे जाता है तो खा लेते हैं। वरना भूखे पेट रहने को मजबूर हैं। इससे पहले गोरखपुर और लखनऊ में बच्चे का उपचार कर चुकी है। लेकिन बच्चे में कोई बदलाव नहीं हुआ। बेटे के इलाज में बहुत पैसा खर्च हुआ है और अब हमारे पास कुछ नहीं बचा है। पहले हम इसको कपड़े में बांधकर रखते थे जैसे इसको जानकर हुई तो उसने कपड़े की जंजीर को फाड़ कर भाग जाया करता था, तो मजबूर हो कर लोहे की जंजीर में बांध कर रखा हुआ है।

अगर इसको खुला छोड़ देते हैं। तो ये खुद को नुकसान पहुंचाने लगता है। इस कारण बच्चे की सुरक्षा के लिए हमने इसको मजबूर होकर जंजीरों में जकड़ा है। आज नरेश पारस के प्रयास से मेरे बच्चे को मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कर किया गया है। अब मेरा बेटा ठीक हो जायेगा अनजान शहर में एक इन्होंने हमारी मदद की है। इससे पहले हम लोग अपने बच्चे मानसिक विक्षिप्त को लेकर फुटपाथ पर पड़े थे। आज उनके प्रयास से बच्चे को मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कर लिया गया है।