संवाद। विनोद मिश्रा
बांदा। लोकसभा चुनाव को लेकर चार जून के मतगणना होनी है। झांसी-ललितपुर संसदीय सीट के लिए ईवीएम में डाले गए मतों की गिनती होगी। साथ मतगणना का परिणाम बुंदेलखंड में विधान परिषद के सभापति, दो राज्यमंत्री समेत सात दिग्गज नेताओं का सियासी कद तय करेगा। सपा और कांग्रेस के भी सियासी रसूखदारों का भी सियासी भविष्य काफी हद तक चुनाव परिणाम पर निर्भर करेगा।
बुंदेलखंड में लोकसभा की चार सीटें हैं। चाहें 2014 का चुनाव हो या फिर 2019 का, दोनों ही बार भाजपा ने यहां पर क्लीन स्वीप किया है। इस बार चार जून को मतगणना है। सभी दलों के प्रत्याशियों की धड़कनें बढ़ी हुई हैं। सत्ता पक्ष हो या विपक्ष, सभी पार्टियों के दिग्गजों की प्रतिष्ठा भी दांव पर है। बुंदेलखंड में भाजपा नेता कुंवर मानवेंद्र सिंह मौजूदा समय में विधान परिषद के सभापति हैं। बुंदेलखंड के बड़े नेताओं में उनकी गिनती होती है। ललितपुर जनपद के महरौनी विधायक मनोहर लाल पंथ लगातार दूसरी बार प्रदेश सरकार में श्रम एवं सेवायोजन राज्यमंत्री बनाए गए हैं। वहीं, बांदा के तिंदवारी विधायक रामकेश निषाद भी जल शक्ति राज्यमंत्री हैं।
वहीं, सपा का बुंदेलखंड में सबसे बड़ा चेहरा पूर्व सांसद चंद्रपाल सिंह यादव हैं। उनके अलावा पूर्व राज्यसभा सांसद विशंभर निषाद की गिनती भी सपा के बड़े नेताओं में होती है। इन दोनों नेताओं की भी अपनी-अपनी सियासी जमीन है। इसके अलावा बुंदेलखंड में कांग्रेस के दो बड़े नेता हैं, एक पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी और दूसरे पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी। नसीमुद्दीन जहां कांग्रेस के यूपी में स्टार प्रचारक हैं। वहीं, बुंदेलखंड में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने के लिए कांग्रेस ने बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष भी बनाया था। इस चुनाव में भाजपा से लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने अपने प्रत्याशियों की जीत हेतु प्रचार और सभाएं की हैं। बसपा ने लोकसभा चुनाव के बीच में ही मुकेश अहिरवार को बुंदेलखंड प्रभारी की जिम्मेदारी दे दी थी। अब चुनाव परिणाम में प्रत्याशियों के साथ-साथ इन सभी दिग्गज नेताओं की भी परीक्षा है।