उत्तर प्रदेशराजनीति

लोकसभा चुनाव:बांदा को चार दशक बाद मिला अपना सांसद

संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। चार दशक बाद बांदा जिले के निवासी के रूप में सांसद मिलने से यहां की जनता में एक अलग तरह का हुलास है। आजादी के बाद बांदा चित्रकूट संसदीय सीट पर 17 बार हुए लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने 11 बार चित्रकूट या गैर जनपदों के प्रत्याशियों के सिर पर ताज सजाया। बांदा के प्रत्याशियों में सिर्फ 6 को सांसद बनने का मौका मिला। 2024 के लोकसभा चुनाव में बांदा जिला निवासी कृष्णा पटेल नें जीत दर्ज की तो बांदा का मन बागवां हो गया।


बांदा संसदीय क्षेत्र में 1952 से लोकसभा चुनाव हो रहे हैं। 90 के दशक में बांदा को विभाजित कर चित्रकूट नया जिला बन गया। इस लोकसभा सीट को बांदा चित्रकूट कहा जाने लगा, लेकिन इसके पहले ही लोकसभा क्षेत्र में चित्रकूट क्षेत्र का दबदबा था।
सबसे पहले 1952 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान फतेहपुर के निवासी शिवदयाल उपाध्याय सांसद बने थे। दूसरा चुनाव 1957 में हुआ, जिसमें प्रतापगढ़ के कालाकांकर रियासत के राजा दिनेश सिंह के सिर ताज सजा था। तब वह कांग्रेस के टिकट पर चुने गए थे। 1962 में कांग्रेस की सावित्री निगम, 1967 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जागेश्वर यादव, 1971 में भारतीय जनसंघ से रामरतन शर्मा, 1977 में जनता पार्टी से अंबिका प्रसाद पांडे, 1980 में कांग्रेस से रामनाथ दुबे और आखरी बार 1984 में कांग्रेस के भीष्म देव दुबे शामिल है। इस तरह छह बार बांदा के लोगों को सांसद बनने का मौका मिला। 1984 के बाद बांदा का कोई भी सूरमा लोकसभा चुनाव जीतने में नाकाम रहा।


इसके बाद 1989 में बसपा के राम सजीवन, 1991 में भाजपा के प्रकाश नारायण त्रिपाठी, 1996 में बसपा के राम सजीवन, 1998 में भाजपा के रमेश चंद्र द्विवेदी, 2004 में सपा के श्याम चरण गुप्ता, 2009 में सपा के आर के सिंह पटेल, 2014 में भाजपा के भैरव प्रसाद मिश्र और 2019 में भाजपा के आर के सिंह पटेल निर्वाचित हुए थे। इनमें रमेश चंद द्विवेदी को छोड़कर सभी चित्रकूट जनपद के रहने वाले हैं। रमेश चंद्र द्विवेदी मूल रूप से कौशांबी जिले के रहने वाले हैं। लेकिन इस बार 2024 में सपा से कृष्णा पटेल नें जीत दर्ज कर सांसद के रूप में बांदा जिले का निवासी होने की हसरत पूरी कर दी।