संवाद – नूरुल इस्लाम
उच्च न्यायालय में कानून के दांव पेंच से दिलवा रहीं कमजोरों को न्याय
लखनऊ। कमजोर एंव समाज के सबसे नीचे के पायदान पर खड़े गरीब तबके के लोगों के लिए शामली की बेटी एक उम्मीद की किरण लेकर प्रयागराज में कानून का डंका बजा रही है, लोगों को उनके हक दिलाने के लिए उसने काला कोट पहन कर अपराधियों और मनमानी कर जनता का शोषण कर रहे अधिकारियों की नींद उड़ा दी है। महिलाओं की शसक्त आवाज बनी शामली की शबिस्ता परवीन की कहानी आज हम इसलिए लिख रहे है ताकि शबिस्त से प्रेरणा लेकर समाज की हर बेटी अपने गांव, शहर और देश का नाम रोशन करे और पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर समाज को आगे ले जाने का कार्य करे।
महिलाओं और समाज को गौरवान्वित करने वाली यह कहानी उत्तर प्रदेश के शामली जिले की रहने वाली शबिस्ता परवीन की है , शबिस्ता बचपन से ही होनहार थी जिसके चलते हमेशा अपनी कक्षा में पढ़ाई में अव्वल आती थी। जिस उम्र में लड़कियां ऐशो आराम की जिंदगी बिताती है , शबिस्ता ने उस उम्र में अधिवक्ता बन समाज को न्याय दिलाने का निर्णय लिया और वकालत की पढ़ाई शुरू की। पढ़ाई पूरी करके शबिस्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंच गई और वकालत आरंभ कर दी , अब तक शबिस्ता ने कई बेगुनाह लोगों को सलाखों के पीछे से मुक्ति दिलवाई है तो वहीं अनगिनत गुनाहगारों को सजा दिलवाने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई है।
बीते दिनों यूपी के ही अलीगढ़ में बीते कई वर्षो से हत्या के झूठे इल्जाम मैं सजा काट रहे गुलफाम नाम के शख्स को जेल से रिहा करवाया तथा पुलिस की कारगुजारी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अलीगढ़ और अपर पुलिस महानिदेशक आगरा को हाई कोर्ट में तलब करवाया।
इसके अलावा शामली में गरीब तबके के बच्चो को सरकारी नियमो के अनुसार निजी स्कूलों में दाखिला न देने पर एक रिट याचिका दायर कर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शामली को आदेशित करवाया और बच्चो को प्रवेश दिलवाने का कार्य किया। शबिस्ता प्रेरणा है उन लड़कियों और महिलाओं के लिए जो अपने भविष्य को सिर्फ चौका चूल्हा और घरों की चारदीवारी में बंद किए बैठी हैं। शबिस्ता कहती हैं कि मेने यह काला कोट निर्दोषों को न्याय दिलाने के लिए पहना है और में हमेशा उन्हें न्याय दिलाती रहूंगी।