देशभर में हो रहे प्रदर्शन, परीक्षा परिणाम रद्द करने की उठ रही मांग
न्यायालयों में दायर हुईं याचिकाएं, लाखों विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर
आगरा। नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी का रिजल्ट जारी किया। नीट के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि 67 विद्यार्थियों ने 720 में से 720 अंक हासिल किये हैं। नीट परीक्षा परिणामों में हुई भारी गड़बड़ी से लाखों विद्यार्थियों के भविष्य पर संकट के बादल छा गए हैं। परीक्षा परिणामों को रद्द करने की मांग को लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। न्यायालयों में याचिकाएं दायर की जा रही हैं। आगरा के चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर नीट की परीक्षाएं दुबारा कराएं जाने की मांग की है। एनटीए के परीक्षा परिणामों को कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
67 विद्यार्थियों ने प्राप्त की ऑल इंडिया 1 रैंक
नरेश पारस ने अपने पत्र में कहा है कि इस साल 24 लाख से अधिक बच्चों ने नीट की परीक्षा दी है, जिसमें 13.16 छात्रों को सफलता मिली है। इस साल नीट परीक्षा (नीट 2024) में कुल 67 कैंडिडेट्स ने ऑल इंडिया रैंक 1 (एआईआर) हासिल की है। इन सभी कैंडिडेट्स को नीट परीक्षा 2024 में 720 में से 720 अंक और 99.9971285 पर्सेंटाइल हासिल किया है। नीट यूजी में एक साथ 67 कैंडिडेंट्स के 720 में से 720 अंक लाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कई कोचिंग इंस्टीट्यूट और कैंडिडेट्स का यह तर्क है कि जहां नीट यूजी में एक या दो बच्चों को 720 में 720 अंक मिलते थे, वहीं इस बार 67 कैंडिडेट्स को 720 में से 720 अंक कैसे मिल सकते हैं।
इसमें आठ कैंडिडेट्स एक ही परीक्षा केंद्र से थे। दावा किया गया है कि टॉपर लिस्ट के सीरियल नंबर एक जैसे हैं। इतना ही नहीं ये हरियाणा के किसी एक सेंटर के ही अभ्यर्थी हैं। जितने भी सीरियल नंबर एक जैसे दिखाई दे रहे हैं उनमें किसी भी स्टूडेंट का सरनेम नहीं है। अब जब नीट यूजी में एक साथ 67 बच्चों को 720 में 720 यानी 99.9971285 पर्सेंटाइल मिले हैं तो लोगों को आश्चर्य हुआ है कि ऐसा कैसे हो सकता है। वहीं एनटीए द्वारा दिए गए ग्रेस मार्क्स के कारण छात्रों को 718, 719 अंक मिले हैं जो नीट की मार्किंग स्कीम से असंभव जान पड़ता है। नीट यूजी परीक्षा कुल 720 अंकों की होती है, ऐसे में जिन बच्चों को 720 में 720 अंक मिले हैं, इसका मतलब है कि उन्होंने किसी प्रश्न का गलत जवाब नहीं दिया है।
वहीं एक प्रश्न गलत जवाब देता है तो उसे 715 अंक और एक सवाल छोड़ता है तो उसे 716 अंक मिलने चाहिए. लेकिन एनटीए ने छात्रों को 718 और 719 अंक दिए हैं। एनटीए ने बताया कि उसने उम्मीदवारों को उनकी उत्तर देने की क्षमता और खोए हुए समय के आधार पर मुआवजा के तौर पर ये अंक दिए हैं, जो कहीं से भी तार्किंक नहीं है। जबकि तार्किक रूप से यह कतई संभव नहीं है। बताया कि हर सवाल चार नंबर का होता है। इसमें निगेटिव मार्किंग भी होती है, यानी एक सवाल का गलत उत्तर देने पर एक अंक कटते हैं। अगर कोई छात्र सभी सवालों के सही जवाब देता है तो उसे 720 में से 720 अंक मिलेंगे।
अगर एक सवाल छोड़ देता है तो 716 अंक मिलेंगे. जबकि यदि कोई एक सवाल गलत करता है तो उसे 715 अंक मिलेंगे। 718 या 719 अंक किसी भी हाल में मिल ही नहीं सकते हैं। इस अंक को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। नीट का कटऑफ काफी अधिक बढ़ गया। विद्यार्थियों को नंबर भी अधिक मिले, लेकिन रैंक काफी कम मिली।
एक सवाल के दो सही जबाब
इस बार फिजिक्स के एक पेपर में इतनी बड़ी चूक हो गई कि एक ही सवाल के दो-दो सही जवाब दे दिए गए और दोनों तरह के जवाबों को एनटीए ने सही माना और इस कारण से एक सवाल के सही जवाब के कारण 44 टॉपर बढ़ गए। दरअसल एनसीईआरटी की नई किताब के मुताबिक जो जवाब छात्रों ने दिया वह गलत था लेकिन पिछले साल की एनसीईआरटी की किताब के संस्करण में उसी जवाब को सही कहा गया था। आंसर की में उस सवाल जवाब को चुनौती दी गई। दस हजार छात्रों ने यह चुनौती दी थी।
एनटीए इस चुनौती के आगे झुक गया और उसने उन छात्रों को भी पूरे नंबर दिए जिन्होंने ऑप्शन-चार चुना था, जिसमें कहा गया था कि दोनों ही कथन सही है। इस एक्जाम में मल्टीपल च्वाइस ऑन्सर होते हैं एमसीक्यू होते हैं, लेकिन क्या इसी एक कारण से इतने टॉपर हो गए। ऐसा आज तक पहले कभी नहीं हुआ था। किसी भी परीक्षा में अपने देश में आज तक यह नहीं
ये हैं सवाल
देश में 67 उम्मीदवारों को एक साथ टॉप स्कोर 720 कैसे हासिल हो गए ? जबकि पिछले 5 साल में सिर्फ 2 विद्यार्थी को मिले थे 720 अंक
नंबर अधिक लेकिन रैंक कैसे हो गई कम, वहीं दूसरी तरफ नंबर कम लेकिन रैंक अधिक कैसे ?
718 और 719 अंक कैसे हासिल हो गए ?
हरियाणा के एक ही सेंटर पर 6 विद्यार्थी कैसे टॉपर हो गए ? क्या सभी जीनियस स्टूडेंट इसी परीक्षा केंद्र पर थे ?
जब पूरा देश लोकसभा चुनाव में उलझा हुआ था, ठीक उसी दिन निर्धारित तिथि से पूर्व कैसे रिजल्ट जारी हो गया ?
समानता के अधिकार का उल्लंघन
नीट का कथित पेपर लीक भी हुआ था। संविधान के अनुच्छेद 14 में वर्णित समानता के अधिकार का उल्लंघन है क्योंकि इस हरकत ने कुछ उम्मीदवारों जिन्होंने निष्पक्ष तरीके से परीक्षा देने का विकल्प चुना था, उनके मुकाबले दूसरों को अनुचित लाभ मिला। लाखों बच्चों को समझ नहीं आ रहा कि वे एनटीए ने जो नतीजे घोषित किए हैं, क्या उन्हें ही आखिरी मान लें, या फिर दोबारा परीक्षा की तैयारी में जुट जाएं ? नीट यूजी पेपर 720 अंकों का होता है। इस बार 650 से ज्यादा अंक हासिल करने वाले विद्यार्थियों का रैंक भी कई हजार में है।
इससे उन्हें मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने में परेशानी हो सकती है। अच्छे कॉलेजों में उनके एडमिशन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। हुआ। अब इस परीक्षा के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर की जा रही हैं। देष की महत्वपूर्ण परीक्षा की विष्वनियता पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं। विद्यार्थी अवसाद में हैं। वह गलत कमद उठा सकते हैं।
एनटीए से छीनी जाए परीक्षा कराने की जिम्मेदारी
नरेश पारस ने कहा है कि मामले को गंभीरता से लेते हुए परीक्षा परिणामों की पुनः निष्पक्ष जांच कराई जाए। दोषियों के विरूद्ध कार्यवाई की जाए। किसी भरोसेमंद और निष्पक्ष ऐजेंसी के माध्यम से नीट की दुबारा परीक्षाएं आयोजित कराई जाएं। विद्यार्थियों को हुए नुकसान की भरपाई मुआवजे के रूप में दी जाए। साथ ही नीट परीक्षा आयोजन का करार एनटीए से समाप्त किया जाए।