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निकम्मे पन की हद : बजट के लिए रोने वालों ने लौटाए सवा अरब


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। शासन बुंदेलखंड के विकास को भले ही तवज्जो दे रहा हो, पर यहां के अधिकारी ही उसकी मंशा पर पानी फेरने में तुले हैं। सिंचाई से लेकर सड़क व अन्य विकास कार्यों के लिए शासन ने अरबों रुपये से जनपद की झोली भरी, पर अधिकारी इसे एक वर्ष में खर्च नहीं कर सके। सड़क, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य व खाद्य एवं रसद विभाग के अरबों रुपये आखिर लौट गए। अफसरों ने यह धनराशि खर्च करने में कोई रुचि नहीं दिखाई। कुल मिलाकर प्रमुख विभागों के करीब एक अरब 32 करोड़ की धनराशि वापस की गई है।


वित्तीय वर्ष 2023-24 में शासन ने जनपद के विकास के लिए जमकर धनवर्षा की, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते इस धनराशि का उपयोग नहीं हो सका। जनपद में दैवी आपदा से जूझते किसानों की सुविधाओं के लिए शासन ने पिछले वित्तीय वर्ष में 87.55 करोड़ रुपये जारी किए। कृषि विभाग विभिन्न योजनाओं की इस धनराशि में सिर्फ 83.90 लाख रुपये ही खर्च कर सका। करीब पौने चार करोड़ रुपये खर्च न होने पाने के कारण वापस हो गए।


खाद्य एवं रसद विभाग की बात करें तो शासन से 1.73 अरब रुपये मिले। विभाग गरीबों के लिए सिर्फ 1.47 अरब रुपये की खर्च कर सका। जबकि 26 करोड़ रुपये वापस चले गए। जनपद की ध्वस्त सड़कों को दुरुस्त कराने के लिए सरकार ने पीडब्ल्यूडी विभाग को 1.89 अरब रुपये जारी किए थे। इसके सापेक्ष अधिकारी सिर्फ 1.77 अरब ही खर्च पाए। जबकि 12 करोड़ रुपये खर्च न होने के कारण लैप्स हो गए।


जनपद की सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए सरकार ने वित्तीय वर्ष में 1.11 अरब रुपये जारी किए थे। इसमें अधिकांश पैसा पूरे वर्ष कोषागार में ही पड़ा रहा। विभाग 89 करोड़ रुपये ही खर्च कर सका। जबकि 21.71 करोड़ रुपये खर्च न होने के कारण वापस हो गए। रुपये खर्च करने में स्वास्थ्य विभाग भी बेहद फिसड्डी रहा।
एलोपैथिक मद में शासन ने 1.13 अरब रुपये दिए, जिसमें अस्पतालों की व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने के साथ मरीजों के लिए सुविधाएं व योजनाओं का लाभ दिया जाना था। स्वास्थ्य विभाग इसमें सिर्फ 1.05 अरब ही खर्च कर पाया। वहीं 7.94 करोड़ रुपये बच गए, जिन्हें वापस करना पड़ा। ऐसे ही मेडिकल कालेज के लिए 74.39 करोड़ रुपये मिले। इसमें 66.65 करोड़ रुपये खर्च हो सके। 7.73 करोड़ रुपये की वापसी करनी पड़ी।


परिवार कल्याण विभाग को शासन ने वित्तीय वर्ष में 31 करोड़ रुपये आवंटित किए। इसके सापेक्ष अधिकारी 25.86 करोड़ ही खर्च कर पाया। करीब छह करोड़ रुपये लैप्स हो गए। इसी तरह पुलिस विभाग की व्यवस्थाएं दुरुस्त कराने को शासन ने 2.22 अरब रुपये जारी किए। इसमें पुलिस के आवास से लेकर कार्यालय तक दुरुस्त कराया जाना था। इसमें 1.83 अरब रुपये खर्च किए गए। 39.62 करोड़ रुपये खर्च न हो पाने से वापस करने पड़े। वहीं पंचायतीराज विभाग भी 35 लाख रुपये खर्च नहीं कर पाया। यह धनराशि वापस हो गई।