जीवन शैली

संस्कृत भाषा के विना संस्कृति सुरक्षा की कल्पना भी नहीं की जा सकती – वाचस्पति मिश्र

आगरा।सरस्वती शिशुमन्दिर कमलानगर में संस्कृतभारती व्रजप्रान्त द्वारा आयोजित आवासीय प्रबोधनवर्ग के अवसर पर भावोद्गार प्रकट करते हुये मुख्यवक्ता पश्चिमी उत्तरप्रदेश क्षेत्र के संयोजक एवं राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डा. वाचस्पति मिश्र ने कहा कि संगठन का उद्देश्य जन मानस में व्याप्त भ्रान्त धारणा संस्कृतमृत भाषा है। इसका हमारे दैनिक जीवन में कोई उपयोग नहीं है यह अत्यंत कठिन भाषा है का निराकरण करते हुये कहा। उन्होंने बताया कि दैनिक जीवन के कर्मकांड के अतिरिक्त इस भाषा को प्रायः प्रशासनिक प्रतियोगी परीक्षाओं में आज से नहीं तो पिछले अनेक दशकों से छात्र वैकल्पिक विषय के रूपमें स्वीकार करते रहे हैं। विभिन्न भाषाओं के अनुवादक संस्कृत के विना स्वयं को अपूर्ण मानते हैं। विश्व की अनेक भाषाओं का संस्कृत से निकट सम्बंध है। कम्प्यूटर और तकनीकी क्षेत्र में इसकी उपादेयता अद्वितीय है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता बी. आर. अम्बेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर डा. आशुरानी ने कार्यक्रम आयोजकों की प्रशंसा करते हुये कहा कि जून मास की इस भीषण गर्मी में ऐसे प्रशिक्षणवर्ग निश्चित रूप से समाज को एक नवीन उत्‌साह और प्रेरणा प्रदान करते हैं। ऐसे प्रशिक्षण समय समय पर न केवल समाज द्वारा अपितु विश्वविद्यालय तथा महाविद्यालयों में भी आयोजन किया जाना बाहिए।

इस वर्ग का आयोजन 5 जून से किया जा रहा है। वर्ग की आख्‌या प्रस्तुत करते हुये प्रान्त मंत्री डा. धर्मेन्द्रकुमार अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश के 8 जिलों के 42 शिविरार्थी भाग ले रहे है। वर्ग की दिनचर्या प्रातः 5 बजे से रात्रि 10 बजे तक चलती है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रसिद्ध उद्योगपति पूरन डावर ने भी इस अवसर अपने विचार व्यक्त किये। धन्यवाद ज्ञापन वर्गाधिकारी रघुवीर जी ने किया। संचालन प्रान्त प्रशिक्षण प्रमुख सतीश शर्मा ने किया अतिथि परिचय डा. गौरवगौतम ने कराया। इस अवसर पर व्रज प्रान्त संघटन मंत्री डॉ नरेन्द्रभागीरथी, कृष्णगोपाल जी, गंगाधर अरोड़ा, हरस्वरूपयादव, जगदीश शर्मा, रेखा सिंह, वर्गाधिकारी रघुवीर जी, चंदनशास्त्री, सर्वेश शर्मा, नारायण चतुर्वेदी, रुद्र , देवव्रत, राधा, लक्ष्मीनारायण, हरिश्चंद्र, आनंद आदि अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहें।