जीवन शैली

अल्लाह के यहाँ वो बड़ा है जो अल्लाह ‘की’ माने, यही हज का पैग़ाम है : मुहम्मद इक़बाल

आगरा | मस्जिद नहर वाली के इमाम मुहम्मद इक़बाल ने आज के जुमा के ख़ुत्बे में इस्लाम के एक अहम रुक्न हज के बारे में लोगों से ख़िताब किया। उन्होंने कहा कि हज की सबसे बड़ी अहमियत ये है कि हज करने वाला अल्लाह का मेहमान होता है। ये कितनी बड़ी सआदत है कि हमारा मेज़बान पूरी कायनात का रब। और जो हज करने की ताक़त रखता हो वो हज ना करे तो वो यहूदी मरे या नसरानी। ये कितनी बड़ी महरूमी है यानि वो इस्लाम से ही निकल गया। उन्होंने आगे कहा कि तक़रीबन हर साल बीस लाख मुस्लमान इस इबादत के लिए दुनिया-भर के मुल्कों से मक्का मुकर्रमा पहुंचते हैं और अपने मुल्कों के लिबास छोड़कर सब एक ही लिबास में नज़र आते हैं। ये मंज़र इस क़दर रूह-परवर होता है कि जैसे तमाम इन्सानों के फ़र्क़ मिट गए हों और वो सब अरफ़ात के बड़े मैदान में अपने रब के सामने मौजूद होते हैं। जैसे वो कह रहे हों कि हमारा रब भी एक हमारा रसूल भी एक और हम सब भी एक ही हैं। यहां बादशाह और अवाम सब एक साथ एक ही लिबास में नज़र आते हैं। हज का ये इज्तिमा इस अहमियत को बताता है कि जिस तरह हम अरफ़ात के मैदान में एक हैं ये ही बड़ा पैग़ाम पूरी दुनिया के इन्सानों के लिए है कि सब आदम की औलाद हैं कोई छोटा बड़ा नहीं। अल्लाह के यहां तो वो बड़ा होगा जो अल्लाह को मानते हुए ‘अल्लाह की मानेगा’ अरफ़ात के मैदान में ही रसूलल्लाह ने जो हज का ख़ुत्बा दिया वो ही आज अक़वाम-ए-मुत्तहिदा का मंसूर है। हमें अल्लाह के नबी का वो हज का ख़ुत्बा मालूम होना चाहिए कि आपने दुनिया को क्या ‘पैग़ाम’ दिया। हज का ख़ुत्बा नेट पर मौजूद है आप डाउनलोड करें ख़ुद भी पढ़ें और अपने बच्चों को भी पढ़ाऐं। ये असल फ़ायदा होगा नेट को इस्तिमाल करने का।
इब्ने माजा की ये हदीस याद रखें, रसूलल्लाह ने फ़रमाया “यानि अल्लाह तआला उसको ख़ुश व ख़ुर्रम रखे जो मेरी बातें सुने फिर उन्हें दूसरों तक पहुंचाए।” अल्लाह हम सबको इसकी तौफ़ीक़ से नवाज़े। आमीन।