एक दूसरे को गले मिलकर दी ईद की मुबारकबाद
बरेली,देश भर में ईद-उल-अज़हा का त्यौहार अमन-ओ-सुकून के साथ मनाया गया। ईद की नमाज़ अदा करने के बाद लोगो ने एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। सुबह से ही ईदगाह समेत सभी छोटी-बड़ी मस्जिदों में नमाज़ियों की भीड़ उमड़ी। इसके बाद हज़रत इब्राहीम अल्हेअस्सलाम की सुन्नत अदा करने का सिलसिला शुरू हुआ। जो 19 जून सूर्यदय से पहले तक चलेगा। शरई मालदार मुसलमानों ने अल्लाह की राह में जानवरों की कुर्बानी दी। *शहर में मुख्य नमाज़ बाकरगंज स्थित ईदगाह में 10.00 बजे क़ाज़ी-ए-हिंदुस्तान मुफ़्ती असजद रज़ा क़ादरी(असजद मिया) ने अदा करायी। नमाज़ के बाद ख़ुत्बा पढ़ा उसके बाद ख़ुसूसी दुआ की। सभी से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी। इस मौके पर जमात रज़ा मुस्तफ़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां,महासचिव फरमान मियाँ व मोइन खान समेत अमन कमेटी के डॉक्टर कदीर अहमद ने सबको गले लगकर ईद की मुबारकबाद पेश। ईदगाह कमेटी के सदर ख़लील अहमद,डॉक्टर सरताज नूरी,महताब अली,सय्यद हसीब ने काज़ी ए हिंदुस्तान के ईदगाह पहुंचने पर जोरदार इस्तकबाल किया और गले मिलकर मुबारकबाद दी। ईदगाह समेत सभी मस्जिदों में हज़रत इब्राहीम व हज़रत ईस्माइल अल्हेअस्सलाम की कुर्बानी का मशहूर वाक़या इमामों ने बयान करते हुए कहा कि मुसलमान अल्लाह की राह में अपनी सबसे प्यारी चीज़ कुर्बान करने का वक्त आए तो कभी पीछे न हटे।*
दरगाह आला हज़रत के मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि सबसे पहले बाजार संदल खान स्थित दरगाह वली मियां में 5 बजकर 40 मिनट पर सज्जादानशीन अल्हाज अनवर बिन नूर मोहम्मद ने नमाज़ अदा की गई। मलूकपुर की नूरी रज़ा मस्जिद में नमाजियों की सहूलियत के लिए सुबह 6 बजे पहली और 7 बजे दूसरी शिफ्ट में नमाज़ अदा कराई गई। पहली शिफ्ट मौलाना मुनीर और दूसरी शिफ्ट मौलाना गुलाम मोहम्मद ने अदा कराई। सबसे आखिर में दरगाह आला हज़रत स्थित रज़ा मस्जिद में मौलाना ज़हीम मंजरी ने साढ़े दस (10.30) बजे नमाज़ अदा कराई। ख़ुसूसी दुआ अल्लामा तौसीफ रज़ा खान(तौसीफ मियां) ने की। यहाँ दरगाह प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियां व सज्जादानशीन मुफ़्ती अहसन मियां समेत खानदान के बुजुर्गों ने नमाज़ अदा कर एक दूसरे को गले लगकर मुबारकबाद दी। *दरगाह के सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन मियां ने सभी से अपील की कि जो शरई मालदार मुसलमान है वो इन तीन दिन अल्लाह की राह में कुरबानी ज़रूर करे। साथ ही साफ सफ़ाई का खास खयाल रखें। इस मौके पर उन्होंने अपना पैगाम जारी करते हुए कहा कि मुसलमान अपने बच्चों की तालीम(शिक्षा) और तरबियत(संस्कार) बेहतर से बेहतर दे। तालीम और तरबियत का वही तरीका अपनाएं जो अल्लाह और उसके रसूल ने हमे बताया। ये बच्चें पढ़ लिख कर अपने मां बाप का ही नही बल्कि अपने मजहब और अपने मुल्क का भी नाम रौशन करते है। हमारे बच्चें मज़हब के साथ-साथ अपने मुल्क के भी वफादार रहे। आगे कहा कि बच्चे सादा काग़ज़ के मानिद होते है उनके ज़हन व दिमाग में वही बाते बिठाई जाए जो उनकी दुनिया व आखिरत के लिए फायेदमंद हो।
इसके अलावा 6.15 बजे दरगाह ताजुशशरिया पर,7.00 बजे दरगाह शाह शराफ़त अली मिया में हाफिज गौसी मियां ने,8.30 बजे दरगाह बशीर मियां,7.45 पर ख़ानक़ाह-ए-वामिकिया में सय्यद असलम मियां वामिकी जिलानी ने,9.00 बजे किला की जामा मस्जिद में शहर इमाम मुफ्ती खुर्शीद आलम ने,ख़ानक़ाह-ए-नियाज़िया में सज्जादानशीन अल्हाज मेंहदी मियां ने,दरगाह शाहदाना वली व नौमहला मस्जिद के अलावा खन्नू मोहल्ला की दादा मियां मस्जिद,जसोली की पीराशाह मस्जिद,सैलानी की हबीबिया मस्जिद,कांकर टोला की नूरानी व 6 मीनारा मस्जिद,कचहरी वाली मस्जिद,रेलवे जंक्शन की नूरी मस्जिद,आजम नगर की हाजी मसीत उल्लाह मस्जिद,बिहारीपुर की बीबी जी मस्जिद,करोलान की आला हज़रत मस्जिद,जखीरा की इमली वाली मस्जिद,सुभाष नगर की साबरी मस्जिद में भी पुर अमन माहौल में नमाज़ अदा की गई।
घरों में तरह-तरह के पकवान बनाये गए। इसके बाद दावतों का सिलसिला शुरू हुआ। जो देर रात तक जारी रहा।