उत्तर प्रदेशजीवन शैली

साथी यूपी की उत्पत्ति का जानें हाल : सरकारी धन से कैसे हो गये मालामाल?


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। साथी-यूपी संस्था को गरीब उत्थान के लिए देश-विदेश से करोड़ों रुपए की फंडिंग हो रही है। इससे “गरीबों का तो कुछ खास कल्याण नहीं हुआ”,लेकिन संस्था “संस्थापक सहित कार्यकारणी सदस्य मलाई काट” रहे हैं। इस पैसे से एक दर्जन से ज्यादा संस्थाओं का गठन हो चुका है! “संस्थाओं का बंटवारा एक ही परिवार के सदस्यों के बीच” हो गया। यह सदस्य एक-दूसरे की संस्था में कार्यकारिणी सदस्य के रुप में शामिल हैं।
बुंदेलखंड सहित कई जनपदों में संविधान बचाओ के मुद्दे पर काम कर रही “साथी-यूपी संस्था की एक और सच्चाई सामने”आ रही है। सूत्रों के मुताबिक साथी संस्था संस्थापक शशि भूषण के भाई भारत भूषण फैजाबाद में ‘पानी’ नाम की संस्था संचालित कर रहे हैं। दोनों भाइयों ने मिलकर ‘पानी’ संस्था शुरू की। कुछ समय गुजरने के बाद दोनों भाइयों में बंटवारा हो गया!

“जमीन-जायदात के साथ ही संस्थाओं को भी बांट” दिया गया। एक ही परिवार के सदस्य दोनों संस्थाओं की कार्यकारिणी में शामिल हो गए। “गरीब उत्थान के नाम पर देश-विदेश से हर साल करोड़ों रुपए फंड”के रुप में मिलने लगा। इस “पैसे से गरीबों की अर्थिक व सामाजिक स्थिति में कोई खास बदलाव भले ही न दिखाई दे रहा हो, लेकिन संस्था संस्थापकों के दिन बहुर” चुके हैं। इस पैसे संस्थाओं के गठन का क्रम आगे बढ़ता गया। एक ही परिवार के सदस्योें ने एक दर्जन से ज्यादा संस्थाएं गठित कर ली हैं।


सिर्फ “साथी संस्था की फंडिंग की बात करें तो सालाना करोड़ों रुपए मानदेय व अन्य रुपों में खर्च ” दिखाया जा रहा हैं। ऐसे ही इस परिवार की “पानी व अन्य संस्थाएं भी धड़ाधड़ फंड लेकर ठिकाने लगा रही हैं? साथी संस्था जनपद में पिछले तीन साल से काम कर रही है। लेकिन अब एक अन्य “संस्था जन साहस” ने कर्मचारियों सहित अपना पूरा काम हैंडओवर कर दिया। साथ ही अपने प्रोजेक्ट का करोड़ों रुपए का फंड भी साथी संस्था को दे दिया। इस प्रकार साथी संस्था मालामाल हो गदगद है।