उत्तर प्रदेशजीवन शैली

जनकवि बाबू केदारनाथ अग्रवाल : आप याद आये बहुत याद आये


संवाद/ विनोद मिश्रा


बांदा। प्रगतिशील कविता के पुरोधा कवि केदार नाथ बहुत याद आये बहुत याद आये। हिंदी साहित्य के कवि केदारनाथ अग्रवाल की 22 जून को पुण्यतिथि रही। उनका जन्म 1 अप्रैल 1911 बांदा जिले के कमासिन ग्राम में हुआ।केदारजी की शुरुआती जीवन गांव के माहौल में ही बीता। यहीं से शिक्षा की शुरुआत हुई।उनकी रायबरेली, कटनी, जबलपुर, इलाहाबाद से भी पढ़ाई हुई है। इलाहाबाद में बी.ए. की डिग्री हासिल करने के बाद कानूनी शिक्षा उन्होंने कानपुर में हासिल की। उसके बाद बांदा में वकालत करने लगे थे।


केदारनाथ अग्रवाल के प्रमुख कविता संग्रह पर नजर डालें तो
युग की गंगा,फूल नहीं, रंग बोलते हैं,गुलमेंहदी,हे मेरी तुम!,बोलेबोल अबोल,जमुन जल तुम,कहें केदार खरी खरी,मार प्यार की थापें आदि प्रमुख है। इसी क्रम में केदारनाथ अग्रवाल यात्रा संस्मरण ‘बस्ती खिले गुलाबों की’ उपन्यास ‘पतिया’, ‘बैल बाजी मार ले गये’ तथा निबंध संग्रह ‘समय समय पर’ (1970), ‘विचार बोध’ (1980), ‘विवेक विवेचन’ (1980) भी लिखे गये हैं।

उनकी कई कृतियां अंग्रेज़ी, रूसी और जर्मन भाषा में अनुवाद हो चुकी हैं। केदार शोधपीठ की ओर हर साल एक साहित्यकार को लेखनी के लिए ‘केदार सम्मान’ से सम्मानित किया जाता है।उनकी एक प्रसिद्ध कविता खूब चर्चित रही। पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा,इसी जन्म में,इस जीवन में,हमको तुमको मान मिलेगा,गीतों की खेती करने को,पूरा हिन्दुस्तान मिलेगा।