प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते हुए अपने नए मंत्रिमंडल का गठन भी कर दिया, मगर अभी लोकसभा का स्पीकर नहीं चुना गया? 18वीं लोकसभा स्पीकर का चुनाव होना बाकी है? लोकसभा का स्पीकर कौन होगा यह सस्पेंस अभी भी बरकरार है? क्या नया स्पीकर एनडीए गठबंधन के घटक दल तेलुगु देशम पार्टी या जदयू का होगा या फिर भारतीय जनता पार्टी से होगा? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस प्रकार से अपने मंत्रिमंडल का गठन किया है उसे देखकर राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे है कि 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष लगातार दूसरी बार ओम बिरला ही बनेंगे?
यदि ओम बिरला लगातार दूसरी बार लोकसभा अध्यक्ष बने तो, यह उनके लिए अपनी राजनीतिक प्रतिभा को साबित करने का एक बड़ा अवसर होगा? 2019 में ओम बिरला भाजपा को मिले प्रचंड बहुमत के कारण लोकसभा के स्पीकर बने थे और लोकसभा में ओम बिरला ने इतिहास इसलिए लिखा था क्योंकि वह नरेंद्र मोदी की मजबूत छत्रछाया के नीचे थे? 2024 मे ना, तो भारतीय जनता पार्टी के पास संसद में पूर्ण बहुमत है और ना ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास मजबूत छाता है? भारतीय जनता पार्टी के पास इस बार लोकसभा में अपने 240 सांसद है, जबकि 2019 में भाजपा के पास 303 सांसद थे!
इस बार नरेंद्र मोदी के पास मजबूत छाता नहीं है बल्कि यू कहे की इस बार मोदी के छाते के तार टूटे हुए हैं, मोदी के छाते में जो तार जुड़े हुए हैं, वह तार ढीले हैं, कब तेज आंधी चले और तार कपड़े से बाहर निकल जाए, और मोदी अपनी छतरी के कपड़े को भी नहीं संभाल पाएं? 2019 में मोदी की छतरी से जुड़े तार कमजोर होने के बाद भी मजबूत थे क्योंकि मोदी के पास अपनी दम पर 303 लोकसभा सीटों का प्रचंड बहुमत था और इसीलिए एनडीए के तमाम घटक दल मोदी की छतरी के नीचे बैठ कर सत्ता का आनंद ले रहे थे? 2019 में लोकसभा के भीतर विपक्ष कमजोर था और लोकसभा में विपक्ष का कोई नेता भी नहीं था क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल के पास विपक्ष का नेता बनने के लिए उचित नंबर नहीं थे?
इस बार विपक्ष मजबूत है और कांग्रेस के पास विपक्ष का नेता बनने के लिए जरूरत से ज्यादा लोकसभा सदस्य हैं!* ऐसे में यदि ओम बिरला लोकसभा अध्यक्ष बनते हैं तो यह उनके लिए अपनी राजनीतिक प्रतिभा को सही मायने में दिखाने का बड़ा अवसर होगा? क्योंकि विपक्ष संसद के 2019 के अनुभवों को नहीं भूल है, लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी अपनी संसद सदस्यता निरस्त होने और सरकारी बंगला खाली करने जैसे अनुभव को नहीं भूले होंगे? 2024 की लोकसभा में विपक्ष के वह नेता मजबूती के साथ फिर से जीत कर लोकसभा में पहुंच गए हैं विपक्ष के वह सांसद, लोकसभा के अपने पुराने अनुभवों को नई लोकसभा में जरूर याद करेंगे?*