संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। आपातकाल की अर्ध शताब्दी है। 25 जून 1975 की आंधी रात को देश मे आपात काल लगा था। पुलिस ने यहां नेताओं को ढूंड-ढूंढकर गिरफ्तार किया। आपात काल के दौरान सरकार के विरोध मे लिखने वाले कलमकार भी बख्शें नहीं गए। लोकतंत्र सेनानी व वरिष्ठ पत्रकार सुधीर निगम से इस पर विस्तृत वार्ता हुई। उन्होंने बताया कि नेता समाजवादी नेता राजनारायण की याचिका की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चुनाव को अवैध मानते हुए उनकी सदस्यता समाप्त कर दी। छह साल तक चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी।
इससे परेशान इंदिरा गांधी ने आपात काल लगाया था। देश व प्रदेश के बड़े छोटे सभी विरोधी पार्टी के नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले तो गिरफ्तार किए ही जा रहे थे,साथ ही उनका समर्थन करने वाले या उनसे मिलने जुलने वालों को भी बख्शा नही गया। चारों तरफ खाकी खौफ था। लोग घरों से निकलने मे भी कतराते थे।
यादों में खोते हुये सुधीर निगम नें कहा कि जिस पत्रकार ने भी सरकार के खिलाफ कलम चलाई उसे जेल जाना पड़ा। अखबारों मे सेंसरसिप लगा दी गई कि जो भी लिखा जाएगा वह सूचना विभाग को दिखाना होगा। उसकी रजामंदी पर हीं खबर छपेगी। आपात काल जैसा मंजर उन्होंने न पहले कभी देखा था और न ही इसके बाद देखने को मिला।