संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जल शक्ति राज्य मंत्री रामकेश निषाद के इस भरोसे की “हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,मेरी कोशिश हैं की सूरत बदलनी चाहिये”। इसी के साथ बिजली विभाग में अधिकारियों के साथ चल रहे विवाद का पटाक्षेप हो गया। दरअसल बिजली विभाग की अकर्मण्यता से क्षुब्ध राज्य मंत्री निषाद एवं उनके समर्थक बिजली समस्या के निवारण के परिप्रेक्ष्य में मुख्य अभियंता के कार्यालय पिछले दिनों गये थे। वहां मंत्री समर्थकों एवं बिजली विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के मध्य बहस हो गई थी। यह मामला तूल पकड़ रहा था। बिजली कर्मचारी आंदोलन तो मंत्री समर्थक जन आंदोलन के लिये बाहें सिकोड़े थे।
मीडिया में मामला सुर्खियां बन रहा था। इस मसले पर डीएम,एसपी के साथ भी बिजली कर्मचारियों की बैठकें हुई। विचार किया गया की विवाद की जड़ में मुद्दा क्या था? क्यों मामला तनातनी में पहुंचा? प्रोटोकाल की अवहेलना कैसे और क्यों हुई? इन सब पर “शांति चित्त” वातावरण में “गंभीर चिंतन एवं मनन” हुआ। बैठक में प्रशानिक अधिकारियों नें राज्य मंत्री की तरफ से उनकी बात रखी की बिजली समस्या का त्वरित निराकरण होना चाहिये ताकि सरकार की छवि धूमिल न हो। बताया की मंत्री जी का स्पष्ट कथन है की “हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं,मेरी कोशिश यही है की सूरत बदलनी चाहिये”। इसी के साथ सारे गिले शिकवे समाप्त हो “विवाद का पटाक्षेप” हो गया।