संवाद/ विनोद मिश्रा
बांदा। जिले में मानसून की प्री बारिश होने के बाद खरीफ की बोआई की तैयारियों को बड़ा झटका लग रहा है। क्योंकि किसानों को सरकारी बीज भंडार से बीज नहीं मिल रहा है। हजारों किसान बीज भंडार के चक्कर लगा रहे है। इस बार खरीफ की फसलों में मोटा अनाज के भी बीज सरकारी बीज भंडारों से गायब है। डिपार्टमेंट भी टेंशन में है। बांदा समेत बुंदेलखंड क्षेत्र में मानसून की पहली झमाझम बारिश हो चुकी है। ऐसे में किसानों ने खरीफ की फसलों की बोआई कराने की तैयारी पूरी कर ली है। बांदा, ललितपुर, महोबा और चित्रकूट,झांसी के अलावा जालौन व हमीरपुर में कई बार अच्छी बारिश हुई है।
बुंदेलखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसान खरीफ में ज्वार, बाजरा, धान और अरहर की फसलों की बोआई करता है। यह क्षेत्र अरहर और ज्वार के लिए हब माना जाता है। इस साल दलहनी में मूंग, तिल, उड़द और मूंगफली की फसलों की बोआई का रकबा बढ़ाने की तैयारी भी किसानों ने की है। शासन ने भी सवा लाख से अधिक हेक्टेयर में खरीफ की बोआई कराने का लक्ष्य डिपार्टमेंट को दिया है। जो पिछले साल की तुलना में चार हजार से अधिक हेक्टेयर है।
सरकारी बीज भंडार में ही ज्वार, बाजरा, तिल, अरहर व उड़द के बीज लाले पड़े हैं। किसानों ने बताया की राजकीय बीज भंडार में ज्वार, तिल, मूंगफली के बीज नहीं है।
पिछले कई दिनों से किसान बीज के लिए भटक रहे है। किसानों का कहना है कि फसलों की बोआई 15 जुलाई से पहले बोनी चाहिए तभी किसानों को इससे लाभ मिलेगा लेकिन किसानों को बीज ही नहीं मिल रहे है। सावा, कोदो, काकुन, रागी, मक्का के अलावा मूंगफली के भी बीज राजकीय बीज भंडार से नदारत है।