आगरा। मुहर्रम का चांद नजर आते ही इस्लामी नववर्ष 1446 शुरु होने के मौके पर ईदगाह कटघर के स्थित हज़रत रमज़ान अली शाह के मज़ार मुक़द्दस पर विशेष दुआ हुई । इस दौरान इस्लाम धर्म के दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूक रजी अल्लाह को भी याद किया गया। गौरतलब हो कि एक मुहर्रम के दिन ही हजरत उमर फारूक की शहादत हुई थी।
इस मौके पर सज्जदानशीं हज़रत ज़ैनुल आब्दीन उर्फ़ विजय कुमार जैन ने कहा कि हमारी दुआ है कि इस्लामी नववर्ष दुनिया भर के लिए अमन-भाईचारे वाला रहे। उन्होंने मुसलमानों के दूसरे खलीफा हजरत उमर फारूक (रजि ) अल्लाह की जीवनी पर रोशनी डालते हुए कहा कि विश्व भर में आज भी उमर-ए-फारूक का इंसाफ मिसाल है। फारूकी दौर में ही दुनिया भर के इंसानों के लिए अहम फैसले किए गए, जिससे इंसानियत का सिर बुलंद हुआ।
जैन ने कहा कि हजरत उमर फारूक की जीवनी हम सब के लिए प्रेरणा का स्रोत है। फारूकी दौर दुनिया में आज भी याद किया जाता है। उन्होंने कहा कि मुहर्रम का चांद नजर आते ही इस्लामी नव वर्ष का आगाज हो गया है। आने वाली मुर्हरम की 10 तारीख (17 जुलाई )को यौम-ए-आशूरा का दिन मनाया जाएगा। आशूरा का दिन इस्लाम में बहुत अहमियत रखता है। इसी दिन प्यारे नबी हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहीवसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन रजीअल्लाह अनहु ने मैदान-ए-करबला में सच्चाई का परचम बुलंद करते हुए शहादत का जाम पिया था।