लखनऊ. उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस ने जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को ज्ञापन भेजकर कर पिछले दिनों इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल द्वारा धर्मांतरण पर की गयी संविधान विरोधी टिप्पणी पर कार्यवाई की मांग की है.
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में कहा कि मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए ज्ञापन में उक्त जज की 2 जुलाई को की गयी टिप्पणी जिसे मीडिया द्वारा रिपोर्ट किया गया ‘भोले भाले गरीबों को गुमराह कर ईसाई बनाया जा रहा है और धर्मांतरण जारी रहा तो एक दिन भारत की बहुसंख्यक आबादी अल्पसंख्यक हो जाएगी’ को न्यायिक अधिकारी की भाषा की गरिमा के विपरीत और संविधान विरोधी बताया गया है. ज्ञापन में कहा गया है कि
भारतीय न्यायिक अधिकारी किसी बहुसंख्यकवादी राज्य के जज नहीं हैं बल्कि एक धर्मनिरपेक्ष राज्य व्यवस्था के जज हैं जिसका कोई अधिकृत धर्म नहीं है. इसलिए धर्मांतरण से जुड़े वाद की सुनवाई में न्यायाधीश की ज़िम्मेदारी यह देखने तक ही है कि कोई जबरन या किसी की इच्छा के विरुद्ध तो धर्म परिवर्तन नहीं करा रहा है. यदि ऐसा पाया जाता है तो उसके लिए उचित दंड का प्रावधान है. इसलिए जज की चिंता का विषय यह नहीं हो सकता कि धर्मांतरण से बहुसंख्यक अल्पसंख्यक हो जाएंगे या अल्पसंख्यक बहुसंख्यक हो जाएंगे.
शाहनवाज़ आलम ने बताया कि ज्ञापन में इस बात पर भी चिंता जतायी गयी है कि कुछ सालों से उत्तर प्रदेश की न्यायपालिका की निष्पक्ष छवि जजों की ऐसी टिप्पणियों से न सिर्फ़ खराब हुई है बल्कि सरकार के प्रभाव में कार्य करने वाली संस्था की बनती जा रही है. जिसके उदाहरण के बतौर बरेली सेशन के जज रवि कुमार दिवाकर द्वारा 9 मार्च 2024 को दिये फैसले को देखा जा सकता हैं जिसमे उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तारीफ करते हुए उन्हें ‘दार्शनिक राजा’ की संज्ञा दी थी.
ज्ञापन में न्यायपालिका की निष्पक्ष छवि और उसमें नागरिकों के भरोसे को बनाए रखने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज रोहित रंजन अग्रवाल के खिलाफ़ आप उचित कार्यवाई करने की मांग की गयी है.