उत्तर प्रदेशजीवन शैली

सब्र,हक़,इंसानियत,अमन,अदल, तकवा,परहेज़गारी,वफ़ा का नाम हुसैनियत है:अहसन मियां

बरेली,शहीदे कर्बला की याद में आज नवीं मोहर्रम के मौके पर दरगाह आला हज़रत पर सज्जादानशीन मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी(अहसन मियां) के आवास पर एक नशिष्त का एहतिमाम दरगाह प्रमुख हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान(सुब्हानी मियां) की सरपरस्ती में किया गया। मुफ्ती अहसन मियां ने खिराज पेश करते हुए कहा कि दहशतगर्दी,बर्बरता,ज़ुल्म,ज़बर,ज़फा,बातिल किरदार का नाम यजीदियत है। वहीं दूसरी तरफ सब्र,इंसानियत,वफ़ा,अदल, हक़,तकवा,परहेज़गारी और अमन की खुशबू का नाम हुसैनियत है। आज से लगभग चौदह सौ साल पहले सन 680 ईस्वी को कर्बला की धरती पर हक़ और बातिल की जंग लड़ी गई जिसमें एक तरफ हज़रत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी और दूसरी तरफ यजीद और उसकी हजारों की फ़ौज। जिसमें हक़ की जीत हुई और बातिल की हार। हजरत इमाम हुसैन शहीद होकर भी जंग जीत गए और यजीद जीत कर भी हार गया। आपने अपने मज़हब की हिफाज़त की खातिर पूरा का पूरा घर कुर्बान कर दिया। बुराई, नइंसाफी,धार्मिक,सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने,इंसानियत को बढ़ावा देने,अपने वतन की ज़मी और अपने लोगो को हर तरह की बुराई से आज़ाद कराने का सबक भी कर्बला के मैदान में इमाम हुसैन की शहादत दे गई। मुफ्ती अहसन मियां ने सभी से अपील करते हुए कहा कि यौमे आशूरा के मौके पर शरई दायरा न लांघे। रिज्क(अन्न) की बेहुरमती बिल्कुल न करे। लंगर को लुटाने की जगह बैठकर खिलाए। नमाज़ अपने वक्त पर अदा करते हुए गरीबों-मिस्कीनो का खास खयाल रखें।
मीडिया प्रभारी नासिर कुरैशी ने बताया कि फातिहा व दुआ के बाद तबर्रुक तकसीम किया गया। दूर दराज से आए मुरूदीन और अकीदतमंदों का दरगाह पर रात भर हाज़िरी देने वालो का तांता लगा रहा। इस मौके पर मौलाना जाहिद रज़ा,मौलाना बशीर उल क़ादरी,औरंगजेब नूरी,शाहिद खान नूरी,मंजूर रज़ा,ताहिर अल्वी,मुजाहिद रज़ा,आलेनबी,इशरत नूरी,अश्मीर रज़ा,साजिद नूरी,जोहैब रज़ा,सुहैल रज़ा,शाद रज़ा,गौहर खान,साकिब रज़ा,सय्यद एजाज़, सय्यद माजिद,काशिफ सुब्हानी,अब्दुल माजिद आदि लोग मौजूद रहे।