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सुन्नते इब्राहीमी पर अमल करके अपने को शैतान से महफ़ूज़ रखें : मुहम्मद इक़बाल

आगरा | मस्जिद नहर वाली के इमाम मोहम्मद इक़बाल ने आज जुमा के ख़ुत्बे में लोगों को सुन्नते इब्राहीमी को अपनी ज़िंदगी में शामिल करने पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि जिस तरह हज के दौरान जमरात के मक़ाम पर अलामती तौर पर शैतान को कंकरियां मारते हैं, ये वो मक़ाम हैं जहां शैतान ने इब्राहीम अलैहिस्सलाम को बहकाने की कोशिश की थी जब वो अल्लाह के हुक्म पर इस्माईल अलैहिस्सलाम को ज़बह के लिए ले जा रहे थे। उस वक़्त इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कंकरी मारने का अमल किया था, जो अल्लाह को पसंद आया और इस सुन्नत को क़यामत तक के लिए क़ायम कर दिया। इसी तरह जब भी अल्लाह का हुक्म अदा करते वक़्त शैतान आदमी के दिल में वसवसा डाले या शैतान नेक अमल करने से रोकने की कोशिश करे, तो आदमी को फौरन होशियार हो जाना चाहिए। अपने ख़यालात को फौरन कंकरी मारने की कोशिश करे। ऐसे मौके पर जो चीज़ आदमी को बचाती है, वो दिल में अल्लाह तआला का डर है, जब दिल में अल्लाह तआला का डर होगा तो आदमी इस शैतानी वसवसे से बच जाता है। इसी बात को कुरआन में इस तरह बताया गया है सूरह अल-आराफ़ आयत नंबर 201– “बिला शुबह जो लोग अल्लाह से डरते हैं उन्हें जब कोई शैतानी वसवसा छू जाता है, तो चौंक पड़ते हैं, और फौरन सही सूरते हाल देखने लगते हैं।” इससे मालूम हुआ कि जिस दिल में अल्लाह का डर होगा वो शैतानी वसवसा से महफूज़ रहेगा। इसलिए जब भी ऐसे हालात हों तो सुन्नते इब्राहीमी को याद रखें। अल्लाह तआला से माफी मांगते हुए अपने को दुरुस्त करने की कोशिश करें। अल्लाह का डर और ख़ौफ पैदा कब होगा ? जब हम अल्लाह को मानने के साथ-साथ अल्लाह ‛की’ मानने वाले बन जाएंगे। अल्लाह तआला हम सबको अपने मानने वाली लिस्ट में शामिल फ़रमाए। आमीन।