कालिंदी इंस्टीट्यूट आफ डांस एंड म्युजिक एकेडमी ने आयोजित किया 20 वां वार्षिकोत्सव
भावपूर्ण कथक प्रस्तुतियाें से बच्चों ने किया अपनी गुरु रोशनी गिडवानी का वंदन
आगरा। घुंघरुओं की गूंज, भाव पूर्ण भंगिमाएं और श्रीमद् भगवत गीता के श्लोक…महाभारत की कालजयी गाथा, द्रोपदी की पीड़ा और श्रीकृष्ण की महिमा…एक के बाद एक प्रस्तुति सनातन धर्म के गौरव का वर्णन कर रही थी। दर्शक दीर्घा बस तालियों की गूंज से आस्था, नृत्य और इतिहास के समागम का एकटक आनंद ले रही थी।
शनिवार को कालिंदी इंस्टीट्यूट आफ डांस एंड म्युजिक एकेडमी द्वारा गुरु पूर्णिमा के अवसर पर 20 वां वार्षिकोत्सव नृत्य महोत्सव के रूप में मनाया गया।
खंदारी परिसर स्थित जेपी सभागार में आयोजित नृत्य महोत्सव की थीम युगांतर रखी गयी थी। गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर 150 बच्चों ने गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन करते हुए अपनी नृत्य गुरु रोशनी गिडवानी का वंदन किया। मुख्य अतिथि डॉ सुशील गुप्ता, विशिष्ट अतिथि डॉ गिरधर शर्मा, त्रिलोक राना, डॉ सुबोध गुप्ता ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
बच्चों ने गणेश वंदना और आरती प्रस्तुत की। इसके बाद छात्राओं ने महाकाव्य महाभारत के प्रमुख अंशों का कथक के माध्यम से मंचन किया।
रोशनी गिडवानी ने बताया कि नृत्य महोत्सव में कथक के माध्यम से भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म के गौरव का मंचन करते हुए सामाजिक सरोकार से जुड़े संदेश दिए गए। तीनताल, धमार ताल, ठुमरी, तराना, युग परिवर्तन, श्रीकृष्ण होली, द्रोपदी चीरहरण, दुर्योधन वध ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं नारी सशक्तिकरण, पर्यावरण संरक्षण द्वारा सामाजिक संदेश दिया।
संस्कृति भवन में रोशनी गिडवानी को संस्कार भारती द्वारा मानक उपाधि भी प्रदान की गयी।
कार्यक्रम का संचालन जिविशा गिडवानी ने किया। नृत्य निर्देशन रोशनी गिडवानी और राहुल का रहा। कार्यक्रम संयोजक हरीश गिडवानी थे।
इस अवसर पर मनीष अग्रवाल, चंद्र सोनी, डॉ सिद्धार्थ अग्रवाल, डॉ कार्तिक प्रूथी, कर्नल गगन राना, पीयूष मल्होत्रा, कमल छाबड़िया, परमानंद आवतानी आदि उपस्थित रहे।
इन बच्चों ने बांधा समा
दिव्यांशी, उमंग, नव्य, इशिता, अदिति, अवनी, मुरली, वंशिका, पर्ल, कियाना, अन्वेशा, अविका, आन्या, दिविजा, नाम्या, भाव्या, कंगना, लावण्या, नमस्वी, पूर्वी, श्रेयांशी, जिविशा, तनुष्का, सोनाक्षी, समायरा, श्रेया, साची, प्रणिका, मिष्ठी, भावना, रिद्धि, सिद्धि, खुशी, निविका, प्रियांशी, प्रिया, शाम्भवी, शगुन, शिविका, काइरा, वनिका, आश्वी, हेजल, समृद्धि, पूर्णिका, आराध्या, श्रेयांशा, वैष्णवी, यश्वी, श्रेशा, पांखुरी, प्रिशा, आनंदी, आर्ना, रिधिका, लिधिका, गौरांशी, दिव्यांशी, अनय, आव्या, अनिरुद्ध, समक्ष, शिवांश, सायना, कृधा, विधि, शान्या, गौरी, चार्वी, अर्शिका, आर्ची, दिशी, मिष्का, जिग्या, अंशिका, गुनिका, मयरा, इशान, अश्ति, निहिता, हरिका, भुवी, मेघा, जसमीत, मानसी, पाखी, सत्यम, लिपि, आव्या आदि ने प्रस्तुतियां दी।