उत्तर प्रदेश

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास में असीम संभावनाएं, सरकार की नीतियों का उद्यमी करें उपयोग

चैंबर आफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने आयोजित की सेमिनार
संबंधित विभागीय अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने साझा की सरकार की नीतियां
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के भविष्य के संभावनाओं के साथ वर्तमान चलन एवं चुनौतियाें विषय पर हुई परिचर्चा

आगरा। केंद्र और प्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के महत्व को भलिभांति समझती है और इसके महत्व को देखते हुए विशेष नीतियां भी बना चुकी है। बस उद्योग से जुड़े उद्यमी आगे आएं और उन नीतियों का लाभ उठाते हुए प्रदेश के साथ देश को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विश्व में नई पहचान दें। खाद्य प्रसंस्करण उद्याेग विशेषज्ञ सीए आरके जैन के इस उद्बोधन के साथ शुरुआत हुई चैंबर आफ फूड प्रसोसेसिंग इंडस्ट्रीज एसोसिएशन(सीएफपीआईए) की एक दिवसीय सेमिनार की।
सुल्तानगंज की पुलिया स्थित उत्सव मैरिज होम में सीएफपीआईए द्वारा सोमवार को भारतीय खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के भविष्य की संभावनाओं के साथ वर्तमान चलन एवं चुनौतियां विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया।
विशिष्ठ अतिथि असिस्टेंट कमिश्नर खाद्य सुरक्षा सैय्यद शाहनवाज हैदर आबिदी, अभिहित अधिकारी शशांक त्रिपाठी, संयुक्त आयुक्त उद्योग अनुज अशाेक, मंडलीय खाद्य सुरक्षा अधिकारी पंकज जी, मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजेश गुप्ता, केनरा बैंक के असिस्टेंट जनरल मैनेजर मनोज कुमार रमन, खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञ सीए आरके जैन एवं अभिषेक जैन, संरक्षक दिनेश राठौड़ एवं विष्णु कुमार गोयल, कार्यवाहक अध्यक्ष राज कुमार भगत, महासचिव अनुज सिंघल, संयोजक सिद्धार्थ अग्रवाल, शैलेश अग्रवाल ने भारत माता के चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम आरंभ किया।
सेमिनार में आगरा आए खाद्य सुरक्षा विभाग के नये अधिकारी असिस्टेंट कमिश्नर खाद्य सुरक्षा सैय्यद शाहनवाज हैदर आबिदी और अभिहित अधिकारी शशांक त्रिपाठी का सम्मान एवं सत्कार किया गया। आगरा के अतिरिक्त हाथरस, अलीगढ़, फिरोजाबाद और मथुरा जिलों से करीब 200 से अधिक खाद्य प्रसंस्करण उद्योग से जुड़े उद्यमियों और व्यापरियों ने सेमिनार में सहभागिता की।
सेमिनार दो सत्र में रखी गयी थी। जिसमें प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए प्रदेश एवं केंद्र सरकार की नीतियों के बारे में विस्तार से मुख्य वक्ता सीए आरके जैन ने जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार की खाद्य प्रसंस्करण नीति 2023 उद्योग एवं व्यापरियों के लिए सर्वाधिक हितकर है। इसमें प्रदेश सरकार 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी यूनिट लगाने के लिए देती है। जबकि विस्तारीकरण के लिए सब्सिडी अधिक से अधिक एक करोड़ है। एग्रीकल्चर एवं इंफ्रास्ट्रक्चर फंड के तहत भारत सरकार और प्रदेश सरकार तीन− तीन प्रतिशत ब्याज पर छूट देती है। तेल, आटा, चावल मिल सहित मसाला उद्योग इस सब्सिडी का विशेष रूप से लाभ उठा सकते हैं।
कार्यक्रम की प्रस्तावना रखते हुए चैंबर के मुख्य सलाहाकर मनीष अग्रवाल (रावी इवेंट एवं एंटरटेनमेंट) ने कहा कि भारत के विशेषकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास की असीम संभावनाएं हैं। एग्री फूड से उत्तर प्रदेश समृद्ध है। यदि कृषि उत्पादों जैसे आलू, मशरूम, सरसों आदि को प्रसंस्करण कर आगे ले जाया जाए तो अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर नवीन उंचाइयां प्राप्त हो सकती हैं।
सेमिनार में विभागीय अधिकारियों ने व्यापारियों और उद्यमियों को सरकार की नियति और उद्योग के प्रति सकारात्मक नियत से अवगत कराया। साथ ही आश्वस्त किया कि विभाग की ओर से किसी भी उद्यमी का उत्पीड़न नहीं होगा। एकभाव से उद्यमी और विभाग साथ− साथ चलेंगे।
केनरा बैंक के डिविजनल मैनेजर सुनील कुमार सिंह, सीनियर मैनेजर प्रदीप कुमार और अभिषेक मैसी ने बैंक द्वारा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को आर्थिक सुदृढ़ता देने वाली योजनाओं का प्रस्तुतिकरण दिया। जोकि सूक्ष्म, मध्यम और लघु उद्योग के लिए हर प्रकार से हितकर था।

द्वितीय सत्र में चलन एवं चुनौतियों पर चर्चा
सेमिनार के दूसरे सत्र में खाद्य प्रसंस्करण के वर्तमान चलन एवं चुनौतियों पर मंथन हुआ। विशिष्ट अतिथि विधायक पुरुषाेत्तम खंडेलवाल और डॉ जीएस धर्मेंश, उप्र लघु उद्योग निगम के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग(दर्जा राज्य मंत्री), उत्कर्ष अग्रवाल, विकास चतुर्वेदी, तरुण अग्रवाल, आशीष गर्ग, नितिन गोयल, अंशुल अग्रवाल, विवेक अग्रवाल की उपस्थिति में द्वितीय सत्र आरंभ हुआ। प्रस्तावना सीए नितेश गुप्ता ने रखी। राहुल जैन मॉडिएटर थे। विधायक पुरुषाेत्तम खंडेलवाल ने व्यापारियों को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदेश लगातार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग में विकास की गति थामे हुए है। उन्होंने संगठित एवं सामूहिक होकर विकास की बात कही। विधायक डॉ जीएस धर्मेश ने कहा कि प्रदेश सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास के लिए गंभीर होकर कार्य कर रही है। उप्र लघु उद्योग निगम लि. के उपाध्यक्ष राकेश गर्ग ने कहा कि भारत किसी समय सोने की चिड़िया हुआ करता था। उस वक्त खाद्य उत्पाद यहां से निर्यात होते थे और विदेश से उसके बदले सोना आता था। लोकल फार वोकल को महत्व देते हुए सरकार फिर से यही प्रयास कर रही है। उन्होंने स्थानीय स्वाद के महत्व की भी बात कही। उद्योग में प्रदूषण नियंत्रण के उपायों को इंजीनियर उमेश शर्मा ने साझा किया।
सेमिनार में धन्यवाद देते हुए महासचिव अनुज सिंघल ने संगठन की संरचना, कार्य कलापों और उद्देश्य पर कहा कि विकास की उर्जा के साथ प्रगति की साझेदारी है, उद्योग मेरा स्वाभिमान राष्ट्रहित सर्वोपरी के ध्येय वाक्य पर संगठन कार्य कर रहा है।
संगठन से जुड़े 30 से अधिक नये सदस्यों काे प्रमाण पत्र प्रदन कर शपथ ग्रहण करवायी गयी।
उद्यमी ने आपसी संपर्क− संवाद के माध्यम से मंडल में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों मुख्यतः दाल, आटा, तेल मिल, मासाला, कन्फेसनरी एवं ब्रेकरी, फ्रोजन फूड और स्वीट्स एवं नमकीन इंडस्ट्री को संगठित होकर नयी टैक्नोलॉजी के साथ आगे ले जाने के लिए सजग नजर आए।

इन्होंने संभाली व्यवस्थाएं
सेमिनार का संचालन सिद्धार्थ अग्रवाल और शैलेश अग्रवाल ने किया। मंच व्यवस्था विकास चतुर्वेदी और उत्कर्ष अग्रवाल ने संभाली। स्वागत एवं रचिस्ट्रेशन संजय, अंकुर और नितेश ने किया। भाेजन व्यवस्था मनीष अग्रवाल एवं रमन सेठिया की रही।