लेख। पत्रकार तौफीक फारूकी
फर्रुखाबाद / मौत, यह एक ऐसा शब्द है जो सुनते ही दिल में एक सिहरन पैदा कर देता है। पर क्या हमने कभी सोचा है कि मौत को एक कविता की तरह देखा जा सकता है? यह विचार सामान्य से अलग है, पर इसमें गहरे भाव और अर्थ छिपे हैं।
मौत का संगीत
मौत एक अंतिम संगीत है, जो जीवन की सारी हलचल और शोर को शांत कर देता है। यह वह लय है जो जन्म और मृत्यु के बीच की कहानी को पूर्णता देती है। जैसे किसी कवि की कविता में हर पंक्ति का अपना महत्व होता है, वैसे ही जीवन की हर घटना का अपना विशेष स्थान होता है। मौत उस कविता की आखिरी पंक्ति है, जो पूरी कविता को एक अनमोल अर्थ देती है।
मौत का रंग काला या सफेद नहीं होता। यह वह इंद्रधनुष है जिसमें जीवन के हर रंग को समेटा गया है। यह रंग भले ही दिखता न हो, पर इसका एहसास हमारी आत्मा के गहरे कोनों में होता है। यह रंग जीवन के हर पहलू को समाहित करता है, और एक शांतिपूर्ण अंत की ओर ले जाता है।
मौत का मर्म स्पर्श
मौत का स्पर्श ठंडा नहीं, बल्कि आत्मीयता भरा होता है। यह उस माँ के स्पर्श की तरह है जो अपने बच्चे को सुलाने के लिए उसके सिर पर हाथ फेरती है। यह स्पर्श हमें जीवन के संघर्षों से मुक्त करता है और एक नई यात्रा की ओर अग्रसर करता है।
मौत एक कविता है, जिसमें हर शब्द का अपना महत्व है। यह एक ऐसी कविता है जो हमारे जीवन की कहानी को संजोती है और उसे एक नई दिशा देती है। यह वह अंतिम पंक्ति है जो हमारे जीवन की पुस्तक को पूर्ण करती है और उसे एक अनमोल संदेश देती है।
मौत को एक कविता की तरह देखने से हमें यह एहसास होता है कि यह एक अंत नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है। यह एक ऐसा पुल है जो हमें जीवन से परे के अनंत संभावनाओं की ओर ले जाता है। मौत एक कविता है, जिसमें जीवन के हर पहलू को संजोया गया है, और यह हमें यह सिखाती है कि हर अंत एक नई शुरुआत की ओर इशारा करता है।
मौत की कविता में निहित इस गहरे भाव को समझने से हम अपने जीवन को और भी मूल्यवान बना सकते हैं। यह हमें सिखाती है कि जीवन की हर क्षण को जीना और उसे संजोना कितना महत्वपूर्ण है, क्योंकि अंततः हर क्षण उस अनमोल कविता का हिस्सा है जिसे हम मौत कहते हैं।