उत्तर प्रदेश

हम हर वक़्त ये समझें कि मेरा रब मुझे देख रहा है : मुहम्मद इक़बाल


आगरा | मस्जिद नहर वाली के इमाम, मोहम्मद इक़बाल ने आज के अपने जुमा के ख़ुत्बे में लोगों को दुआ के ताल्लुक़ से बात की। उन्होंने एक इस्लामी स्कॉलर का एक वाक़िया का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा, कि वो इस्लामी स्कॉलर 1995 में दूसरी बार बैतुल-मक़दस के सफर पर गए जिस वक़्त वो मस्जिदे अक़्सा में दाख़िल हुए और दो रकअत नमाज़ अदा करने के लिए खड़े हुए, उनके बक़ौल, मेरा दिल भर आया, सजदे में रोते हुए ज़ुबान पर ये अल्फ़ाज़ आ गए– “ऐ अल्लाह ज़माने का फ़र्क़ तेरे नज़दीक कोई फ़र्क़ नहीं, तू मेरे लिए ज़माने के फ़र्क़ की दूरी को ख़त्म कर दे और मुझको इस मुक़द्दस जमात की सफों में शामिल कर दे जिस वक़्त रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यहां इमामत कर रहे थे और उनके पीछे तमाम अंबिया सफ़ बान्धे नमाज़ अदा कर रहे थे।” ये वाक़िया पढ़ते वक़्त मेरी आंखों में आंसू थे। असल बात ये कि जब दिल से दुआ निकलती है, वो सीधे अर्श पर जाती है और दिल से दुआ तब निकलेगी जिस वक़्त हम पूरी तरह ये समझ रहे होंगे कि इस दुनिया को बनाने वाला मेरा रब मुझे देख रहा है और मैं उसके सामने उसके हुक्म के मुताबिक़ अपने पूरे वजूद को मुकम्मल तौर पर सरेंडर करता हूँ। जब ये कैफियत हमारी होगी उस वक़्त दिल से जो दुआ निकलेगी, काबा के रब की कसम उसको अर्श पर जाने से कोई नहीं रोक सकता। हम अपने अंदर ये जज़्बा तो पैदा करें, फिर देखें किस तरह हालात तब्दील होते हैं और कैसे हमारे मसाइल हल होते हैं। अल्लाह मुझे भी और आप सबको भी ये तौफ़ीक़ अता फरमाए। आमीन।