उत्तर प्रदेश

मौत के मुहाने पर बसे नगला खैम रैगाई के बाशिंदे, एक दूसरे पर जिम्मेदारी डाल झाड़ कर रहे पलड़ा

संवाद।। तौफीक फारूकी

फर्रुखाबाद, जिला मुख्यालय से छह किलोमीटर दूर बसे गांव नगला खैम रैगाई के लोग इस समय मौत के मुहाने पर बसे हुए है। जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से न लिया तो किसी भी समय गांव गंगा में समा सकता है।

कटान रोकने के नाम पर एक करोड़ खर्च होने के बाद भी कटान नहीं रुक रहा है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नही है। गांव वालों का कहना है कि ग्राम प्रधान की लापरवाही से मकान गिर रहे है।

बता दें कि, नरौरा बांध से लगातार छोड़े जा रहे पानी से गंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया है। गंगा नदी नगला खैर रैगाई के मकानों तक पहुंच गई है। जिससे नगला खेम रैगाई के बाशिंदों की नीद उड़ी हुई है।
गांव के कल्लू,हवलदार का कहना है कि जिला प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक शिकायत दर्ज करा चुके है। जनप्रतिनिधि केवल वोट मांगने के लिए आते है। उसके बाद आज तक किसी ने आना मुनासिब नहीं समझा।

समूचेगांव के लोग मौत के मुहाने पर पहुंच गए है। गंगा का कटान गांव की तरफ होने की वजह से दर्जनों मकान गंगा नदी में समाने वाले है। जब गांव के बाशिंदों से पूछा गया कि वह अपने और परिवार की जिंदगी को खतरे में क्यों डाले हुए है।

गांव खाली क्यों नहीं कर रहे है। ग्रामीण बोले उन्हें किसी तरह की प्रशासन से मदद नहीं मिल रही है। आखिर वह जाए तो कहां जाए। रहने के लिए जिला प्रशासन जगह दे देगा तो वह जाने के लिए तैयार है।

उन्होंने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि आज पूरा गांव मौत के मुहाने पर पहुंच गया है। गांव को बचाने की कवायद केवल कागज़ पर खानापूर्ति की जा रही है। कटान रोकने के लिए कुछ दिन पहले सिंचाई विभाग ने एक करोड़ रुपये खर्च किए।

उसके बाद भी मकान गंगा में समा रहे है। सिंचाई विभाग के जेई कटान के लिए ग्राम प्रधान को जिम्मेदार बता रहे है और ग्राम प्रधान कटान के लिए सिंचाई विभाग को जिम्मेदार बता रहे है।

गांव के बाशिंदों का कहना है कि ग्राम प्रधान की लापरवाही से यहां के लोग जिंदगी और मौत से जूझ रहे है। सिंचाई विभाग ने कुछ दिनों पहले ही एक करोड रुपये खर्च कर दिए। लेकिन कटान से लोगो को निजात नही मिली।

कटान रोकने के नाम पर ग्रामीणों की जिंदगी से खिलवाड़ कर अधिकारी कागजों में कटान रुका दिखा कर पैसा खर्च कर रहे है। जिससे समूचा गांव कभी भी गंगा में समा सकता है।

क्या कहते जिम्मेदार

सिंचाई विभाग के जेई चंद्रभान का कहना आपात योजना के तहत प्रतिदिन काम हो रहा है। 5 दिन काम चल रहा है 1 लाख रुपये का 5 दिन में काम हुआ है। इससे पहले 1 करोड़ रुपये खर्च हुए है। कटान रोकने के लिए जब जेई से पूछा गया कि 1 करोड़ रुपये खर्च के बाद भी कटान क्यों नही रुका, जेई का कहना है कि कटाने बारिश के पानी से हो रहा है। उसके लिए ग्राम प्रधान जिम्मेदार है।

क्या बोले ग्राम प्रधान

जब ग्राम प्रधान से सवाल किया गया कि जिला प्रशासन को कोई कार्ययोजना तैयार कर दी गई है। जिससे नाला बनाया जा सके और यहा के लोगों को कटान से निजात मिल सके। ग्राम प्रधान नर सिंह सवालों का नहीं दे सके। बाद में बोले इसके लिए सिंचाई विभाग जिम्मेदार है।