राजस्थान

अज़मेर के चर्चित मंथली वसूली मामले में तत्कालीन एसपी, एएसपी सहित सभी 15 आरोपी हुए बरी

अजमेर । अजमेर के ग्यारह वर्ष पुराने मासिक बंधी प्रकरण में अदालत ने फैसला सुनाते हुवे सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया है। मासिक बंधी वसूली मामले में एसीबी ने तत्कालीन एसपी राजेश मीणा, एडिशनल एसपी लोकेश सोनवाल सहित 9 पुलिस निरीक्षक, 2 सहायक निरीक्षक और 2 अन्य को आरोपी बनाया था।
अजमेर भ्रष्टाचार निरिधक की डिजिग्नेटेड कोर्ट ने मामले में आज महत्वपूर्ण फैसले सुनाते हुवे सभी आरोपियों को बरी कर दिया । फैसले के बाद आरोपियों के वकील ने कहा कि ये एसीबी का प्रीप्लान क्राइम था।

सभी 15 आरोपी बरी
ये मामला जनवरी 2013 के है, जिसमे एसीबी ने तत्कालीन जिला एसपी राजेश मीणा और जोधपुर निवासी दलाल रामदेव ठठेरा को दो लाख पांच हजार रुपये के साथ गिरफ्तार किया था। जांच के बाद एसीबी ने आरोप पत्र पेश किया जिसमें तत्कालीन एडिशनल एसपी लोकेश सोनवाल, तत्कालीन सीआई प्रमोद स्वामी, खान मोहम्मद, संजय शर्मा, रविन्द्र यादव, हनुमानसिंह राठौड़, अशोक विश्नोई, सुनील विश्नोई, जयपाल सिंह, गोपाल लाल, खुशाल चौरड़िया, हेमंत जैन और बंशीलाल को आरोपी बनाया था। मामले में बचाव पक्ष की अंतिम बहस पूरी होने के बाद फैसले के लिए 30 जुलाई की तारीख तय की गई थी। कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुवे सभी 15 आरोपियों को बरी कर दिया है। अभियोजन पक्ष की ओर से 90 गवाह और 330 दस्तावेज पेश किए गए।

सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही – राजेश मीणा
बंधी मामले में आरोपी रहे तत्कालीन एसपी वर्तमान में आईजी, सिक्योरिटी, पुलिस मुख्यालय राजेश मीणा ने फैसले के बाद कहा कि सत्य परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नही। आखिरकार सच्चाई की जीत हुई लेकिन इस लम्बी अवधि में जो मानसिक पीड़ा झेली है उसे बयान नही किया जा सकता। गलत तथ्य के आधार पर बनावटी, मिथ्या और साक्ष्य विहीन मामला था। दूध का दूध और पानी का पानी हो चुका है। न्यायायिक प्रक्रिया पर हमें पूरा भरोसा था।

वक़्त लगा लेकिन न्याय मिला – लोकेश सोनवाल
बंधी मामले में बरी होने के बाद तत्कालीन एडिशनल एसपी लोकेश सोनवाल ने कहा कि 11 साल 7 माह पुराना यह मामला कोई सामान्य मुकदमा नही बल्कि जातीय वैमनस्यता का मुकदमा है। यह संविधान की ताकत है कि देर से ही सही लेकिन न्याय मिला ।