उत्तर प्रदेश

हज़रत ख्वाजा निजामुद्दीन बल्खी थानेश्वरी का 470 वाँ जश्न-ए-उर्स पर तीन रोज़ा रस्म फातिहा

आगरा। महान सूफी संत हजरत ख्वाजा शैख सैय्यद फातिहउद्दीन बल्खी अलमारूफ ताराशाह चिश्ती साबरी के पीर-ओ-मुर्शिद हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन बल्खी थानेश्वरी का 470 वाँ जश्न-ए-उर्स (फातिहा ) व सर्वधर्म सम्मेलन दरगाह मरकज साबरी ,कंपाउंड आगरा क्लब, आगरा मैं गुस्ल-ए-मजार शरीफ (स्नान) , सन्दल , मेहंदी ,डोरी ,गुलपोशी ,मुशायरा व मिलाद-ए-शरीफ के साथ शुरू हुआ। बुजुर्गों का यह जश्न जिसे उर्स कहतें हैं, यह सही मायने मैं “उरूस” होता है। जिसका मतलब है कि जब आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है ,उस शब को उर्स कहतें हें।
इस मौके पर दरगाह मरकज साबरी के सज्जादानशी हाजी इमरान अली शाह चिश्ती साबरी, हाजी कासिम अली शाह चिश्ती साबरी ,नायब सज्जादानशी बून्दू खान चिश्ती साबरी ने दरबार मैं आये हुए जायरीनों व मुरीदों के साथ मिलकर अपने भारत देश देश की उन्नति और तरक्की कि खास दुआ मरकज साबरी मैं की। सज्जादानशी ने तमाम अकीदतमंदों ,मुरीदों के बीच मजार-ए-मुबारक का गुस्ल गुलाब जल से कराया और इत्र पेश किया गया और गुल पोशी की गई। उसके बाद मेहंदी-डोरी सेकड़ों जायरीनों,हाजरीनों व मुरिदेनों के साथ दरबार-ए-मरकज साबरी मैं पेश कि गयी। मेहंदी डोरी पेश करने के बाद सज्जादानशी ने कहा कि बुजुर्गों का दरबार आने वाले हर जायरीन के लिए खुला हैं, चाहे वो किसी धर्म ,साम्प्रदाय या वर्ग का ही क्यों ना हो,यहाँ सबके लिए उन्नति औ तरक्की के लिए खास दुआ की जाती हैं। उसके बाद महफिल-ए- मिलाद शरीफ व मुशायरे का आयोजन हुआ तथा अपने देश भारत के लिए अमन-चैन की खास दुआ की गई।

इस मौके पर उर्स कमेटी व अखिल भारतीय सर्वधर्म साबरी एकता संगठन के पदाधिकारी एवं सदस्यगण, दीपक कुमार ,रिजवान रईसउद्दीन प्रिंस,गुलाम मोहम्मद, हाफिज इस्लाम कादरी,अब्दुल सईद आगाही, पीरजादा अनीस साबरी, पीरजादा आरिफ साबरी, परमजीत सिंह, दिनेश बघेल,चन्द्र ,पुरषोत्तम हासिम साबरी,साबरी, तरून साबरी, करून साबरी, मदन साबरी,छोटू साबरी, नूर मोहम्मद, पीर मोहम्मद,रामदयाल, जीतू, जमील साबरी नाजिम साबरी, महेश चन्द्र साबरी, डॉ० रतन सिंह ,कुलदीप,गुलशन,व संजू साबरी, रानी सिहं, माया देवी साबरी, सोनिया, सोनिया ,नगीना, आदि सदस्य उपस्थित रहे।